
नई दिल्ली: हम बाजार में मिलने वाली किसी भी पानी की बोतल को आम तौर पर 'मिनरल वॉटर' ही कह देते हैं। लेकिन, मशहूर फूड इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमात्सिंका (Food Pharmer) ने हाल ही में एक ऐसी जानकारी शेयर की है, जिसने हमारे इस भरोसे को गलत साबित कर दिया है। उन्होंने खुलासा किया है कि हम जो बिसलेरी, किनले या एक्वाफिना रोज़ पीते हैं, वो असली मिनरल वॉटर है ही नहीं।
हम कहीं भी जाते हैं तो पीने के लिए बिसलेरी, किनले, एक्वाफिना, क्लियर और रेल नीर जैसी बोतलें खरीदते हैं। ये सभी 'पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर' की कैटेगरी में आती हैं। इनका सोर्स आमतौर पर बोरवेल, ग्राउंड वॉटर या नगर निगम का पानी होता है। इस पानी को आरओ (RO), यूवी (UV) या ओजोनाइजेशन जैसे प्रोसेस से साफ किया जाता है। सफाई के बाद, इसमें मिनरल्स को अलग से मिलाया जाता है।
वहीं, वेदिका, एवियन, वॉस, हिमालयन और आवा (Aãva) जैसे कुछ ब्रांड्स असली नेचुरल मिनरल वॉटर हैं। इस पानी का सोर्स प्राकृतिक झरने या जमीन के नीचे के स्रोत होते हैं। सबसे खास बात यह है कि इस पानी को किसी भी केमिकल प्रोसेस से साफ नहीं किया जाता। इसमें मिनरल्स कुदरती तौर पर मौजूद होते हैं।
सेहत के नजरिए से देखें तो दोनों तरह का पानी पीने के लिए सुरक्षित है। लेकिन, नेचुरल मिनरल्स वाला पानी ज्यादा शुद्ध माना जाता है। रेवंत हिमात्सिंका के मुताबिक, यहां पानी की क्वालिटी से भी बड़ी समस्या इन प्लास्टिक की बोतलों से पैदा होने वाला कचरा है। उन्होंने यह भी बताया है कि प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीना सेहत के लिए भी अच्छा नहीं है।
रेवंत 'लेबल पढ़ेगा इंडिया' अभियान के जरिए खाने-पीने की चीजों के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अब से पानी की बोतल पर लगे लेबल को भी पढ़ें और समझें। अगली बार जब आप पानी की बोतल खरीदें, तो एक बार जरूर देखें कि वह 'मिनरल वॉटर' है या 'पैकेज्ड वॉटर'।