चंद्रयान-3 की लैंडिंग के वक्त बेहद रोमांचक होंगे आखिरी के 20 मिनट, जानें किस तरह चांद पर कदम रखेगा विक्रम लैंडर

भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) इतिहास रचने के करीब है। चंद्रमा के चक्कर लगा रहा विक्रम लैंडर (Vikram Lander) बुधवार को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेगा। इस अभियान के आखिरी 20 मिनट बेहद रोमांचक होंगे।

 

Vivek Kumar | Published : Aug 22, 2023 6:48 AM IST

नई दिल्ली। दुनिया की नजर भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) पर है। इसरो द्वारा भेजा गया चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) बुधवार शाम छह बजे चंद्रमा पर लैंडिंग करने वाला है। इस अभियान के आखिरी 20 मिनट बेहद रोमांचक होंगे। विक्रम लैंडर इस वक्त चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी कर रहा है। विक्रम लैंडर अपने साथ प्रज्ञान रोवर ले जा रहा है। लैंडिंग के बाद रोवर बाहर आएगा और खोजबीन शुरू करेगा।

विक्रम लैंडर वर्तमान में 25km x 134km की कक्षा में चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है। बुधवार को लैंडर चांद की सतह की ओर तब बढ़ना शुरू करेगा जब वह 25 किलोमीटर की ऊंचाई पर रहेगा। जिस वक्त विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ेगा उस समय उसकी रफ्तार 6048 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।

रफ्तार कम करने के लिए चालू होंगे विक्रम लैंडर के सभी इंजन

लैंडिंग के वक्त रफ्तार कम करने के लिए विक्रम लैंडर के सभी इंजन चालू होंगे। इंजन से निकलने वाली ऊर्जा एंटी थ्रस्ट के रूप में काम करेगी, जिससे लैंडर की रफ्तार कम होगी। इस दौरान विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग क्षैतिज स्थिति में रहेगा। इसे रफ ब्रेकिंग चरण कहा जाता है। यह प्रक्रिया करीब 11 मिनट चलेगी।

फाइन ब्रेकिंग फेज में अनियंत्रित हुआ था चंद्रयान-2

कुछ मनुवर के बाद लैंडर चंद्रमा की सतह से वर्टिकल स्थिति में आएगा। इसके बाद फाइन ब्रेकिंग फेज शुरू होगा। इसी फेज में पिछली बार चंद्रयान-2 अनियंत्रित होकर चंद्रमा पर क्रैश कर गया था। जब विक्रम लैंडर 800 मीटर की ऊंचाई पर होगा तब उसकी आगे बढ़ने और नीचे आने की रफ्तार शून्य के करीब पहुंच जाएगी। विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह के ऊपर मंडराएगा और देखेगा कि कहां उतरना है।

10.8 किमी प्रति घंटे का झटका झेल सकते हैं लैंडर के पैर

इसके बाद लैंडर धीरे-धीरे नीचे आएगा। यह 150 मीटर की ऊंचाई पर होगा तब थोड़ी देर के लिए मंडराएगा और तस्वीरों के माध्यम से खतरे का पता लगाएगा और देखेगा कि लैंडिंग के लिए सबसे अच्छी जगह कौन सी है। इसके बाद लैंडर के दो इंजन चालू होंगे और यह बेहद कम रफ्तार में चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। लैंडर अपने पैरों पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। इसके पैरों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि करीब 10.8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चांद पर उतरने का झटका झेल सकते हैं। जब लैंडर के पैरों के सेंसर को चांद की सतह का पता चलेगा तो इंजन बंद हो जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया को पूरा होने में करीब 20 मिनट लगेंगे।

यह भी पढ़ें- ISRO के वैज्ञानिक बोले 27 अगस्त तक टल सकती है Chandrayaan-3 की लैंडिंग, अगर रहे ऐसी स्थिति

धूल हटने पर निकलेगा प्रज्ञान रोवर

लैंडर के चंद्रमा पर उतरने के बाद धूल उड़ेगा। जब धूल हट जाएगा तब लैंडर के अंदर से प्रज्ञान रोवर धीरे से बाहर आएगा। बड़ा पल तब आएगा जब विक्रम लैंडर प्रज्ञान रोवर लैंडर की तस्वीरें लेगा और प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर की फोटो लेगा। इसके बाद चंद्रमा की सतह से भारत की पहली सेल्फी भेजी जाएगी। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को चांद के एक दिन (धरती के 14 दिन) तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।

Read more Articles on
Share this article
click me!