भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने घोषणा की कि गगनयान मिशन के लिए मानवरहित फ्लाइट टेस्ट जल्द ही शुरू किया जाएगा। इसके लिए नौसेना की मदद ली जाएगी।
बेंगलुरु। इसरो (Indian Space Research Organisation) ने शनिवार को कहा कि जल्द ही वह गगनयान मिशन के लिए फ्लाइट टेस्ट शुरू करने जा रहा है। टेस्ट मानवरहित होगा। इस महीने के अंत में टेस्ट शुरू होने की संभावना है।
इसरो ने अपने बयान में कहा कि फ्लाइट टेस्ट व्हीकल मिशन-1 (TV-D1) को तैयार किया जा रहा है। इसकी मदद से पैसेंजर्स के किसी भी आपात स्थिति में बच निकलने की क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा। पहले इस टेस्ट को स्थिगत कर दिया गया था।
कैसे होगा फ्लाइट टेस्ट?
मानवरहित टेस्ट लॉन्च आंद्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जाएगा। इस दौरान टेस्ट रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा। यह हवा में 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल (जिसमें गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्षयात्री रहेंगे) अलग होगा। मॉड्यूल पैराशूट की मदद से नीचे आएगा और समुद्र में गिरेगा।
मिशन गगनयान के लिए बेहद अहम है टेस्ट
इसरो ने कहा कि भारतीय नौसेना के एक पोत और गोताखोरी टीम का इस्तेमाल कर बंगाल की खाड़ी से क्रू मॉड्यूल को बरामद किया जाएगा। यह टेस्ट मिशन गगनयान के लिए बेहद अहम है। इस दौरान इसरो के वैज्ञानिक इस बात का पता लगाएंगे कि सुरक्षा के लिए किए गए इंतजाम पर्याप्त हैं या नहीं। गगनयान मानव मिशन है। इसमें भारत द्वारा पहली बार इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा। लौटते वक्त वे मॉड्यूल की मदद से नीचे आएंगे।
टेस्ट के लिए जिस मॉड्यूल का इस्तेमाल किया जाएगा उसमें दबाव मेंटेन नहीं किया जाएगा। वहीं, जिस मॉड्यूल में सवार होकर अंतरिक्ष यात्री लौटेंगे उसमें हवा के दबाव को मेंटने किया जाएगा। ऐसा नहीं करने पर अंतरिक्ष यात्री जिंदा नहीं बचेंगे। महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना का लक्ष्य दो से तीन सदस्यों के दल को एक से तीन दिन के मिशन के लिए पृथ्वी के चारों ओर लगभग 400 किमी की गोलाकार कक्षा में ले जाना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है।