अंतरिक्ष से ऐसी नजर आती है पृथ्वी, चंद्रयान-2 ने भेजी पहली तस्वीर

2 अगस्त को चंद्रयान 2 की ऑर्बिट को इसरो ने बढ़ाया था। इसरों ने जानकारी दी थी कि चंद्रयान-2 की कक्षा को 646 सेकेंड 277 गुणा 89,472 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है।  6 अगस्त को दोपहर में चंद्रयान 2 की ऑर्बिट को बढ़ाया जाएगा। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 4, 2019 11:25 AM IST / Updated: Aug 04 2019, 05:02 PM IST

नई दिल्ली. 22 जुलाई को मून मिशन पर भेजे गए चंद्रयान-2 ने अंतरिक्ष से धरती की फोटो भेजी है। इसरो ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस फोटो को शेयर किया है। ये फोटो चंद्रयान  2 ने  LI4 कैमरे से ली हैं।

चंद्रयान की ऑर्बिट को सफलतापूर्वक बढ़ाया था
इससे पहले 2 अगस्त को चंद्रयान 2 की ऑर्बिट को इसरो ने बढ़ाया था। चंद्रयान-2 की ऑर्बिट को 277 * 89,472 किलोमीटर तक बढ़ाया है। 6 अगस्त को दोपहर में चंद्रयान 2 की ऑर्बिट को फिर से बढ़ाया जाएगा। 

जुलाई के आखिरी सप्ताह में किया था लॉन्च
तकनीकी खामियों के चलते चंद्रयान -2 की लॉन्चिंग रोक दी गई थी। इसके बाद 22 जुलाई को इसरो ने सफलतापूर्वक चंद्रयान-2 लॉन्च किया। इसरो के अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया था कि चंद्रयान 2 को प्रक्षेपित करने वाले जीएसएलवी मार्क 3 की क्षमता को पहले के मुकाबले 15 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है। 

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पूरे मिशन 603 करोड़ का खर्चा

चंद्रयान-2 के पूरे मिशन पर करीब 603 करोड़ रुपए का खर्च होने के अनुमान है। अकेले जीएसएलवी की कीमत 375 करोड़ रुपए है। यान को 6000 क्विंटल वजनी रॉकेट से ले जाया गया है। यह करीब 5 बोइंग जंबो जेट के बराबर है। 

साल 2008 में लॉन्च हुआ था चंद्रयान 1 मिशन

इससे पहले अक्टूबर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च हुआ था। 140 क्विंटल वजनी चंद्रयान-1 को चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था।

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क्या है मिशन का उद्देश्य 

चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतही जानकारी जुटाने के लिए भेजा गया है। जिसमें यान में लगे उपकरण लैंडिग के बाद अहम जानकारी जुटाकर इसरों तक भेजेंगे। रोवर इस दौरान चांद की मिट्टी की जांच करेगा। लैंडर चंद्रमा की झीलों के माप का पता लगाएगा और लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा। 

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2009 से चांद पर पानी की खोज में लगा है इसरो

2009 में चंद्रयान-1 मिशन भेजा गया था, तो भारत को पानी के अणुओं की मौजूदगी की अहम जानकारी मिली थी। जिसके बाद से भारत ने चंद्रमा पर पानी की खोज जारी रखी है। इसरो के मुताबिक, चांद पर पानी की मौजूदगी से यहां मनुष्य के अस्तित्व की संभावना बन सकेगी।  
 

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