Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हो गई है। लाखों श्रद्धालु शामिल हुए। जानिए जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियों में तीसरी ‘यमशिला’ सीढ़ी का रहस्य और इससे जुड़ी मान्यता, जिसे लोग दर्शन के बाद छूकर ही पार करते हैं।
Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी (Puri) में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की भव्य रथयात्रा (Rath Yatra) शुक्रवार से शुरू हो गई है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष के दौरान होने वाली इस वार्षिक परंपरा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे हैं। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों का भव्य जुलूस निकाला जाता है जो श्रद्धालुओं के लिए मोक्ष का प्रतीक माना जाता है।
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पुरी जगन्नाथ मंदिर और चार धाम का महत्व
पुरी का ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों (Char Dham) में शामिल है। इस मंदिर की 22 सीढ़ियों में हर एक को पवित्र माना जाता है, लेकिन तीसरी सीढ़ी का रहस्य भक्तों के लिए सबसे रोचक और रहस्यमयी है।
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तीसरी ‘यमशिला’ सीढ़ी का रहस्य
जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) की सीढ़ियां चढ़ते वक्त तीसरी सीढ़ी को ‘यमशिला’ (Yamashila) कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह सीढ़ी यमराज (Yamraj) का निवास स्थल मानी जाती है।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, यमराज ने भगवान जगन्नाथ से शिकायत की थी कि जगन्नाथजी के दर्शन से भक्त सीधे मोक्ष पा रहे हैं और यमलोक (Yamlok) नहीं आ रहे।
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भगवान जगन्नाथ की तीसरी सीढ़ी
इस पर भगवान जगन्नाथ ने यमराज को तीसरी सीढ़ी पर वास करने का आदेश दिया और कहा: जो भी मेरे दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके पाप धुल जाएंगे लेकिन वह तुम्हारे लोक में अवश्य आएगा।
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यमशिला सीढ़ी पर नहीं रखा जाता पांव
इसी वजह से, भक्त दर्शन के बाद इस सीढ़ी को छूकर ही पार करते हैं लेकिन उस पर पैर नहीं रखते। माना जाता है कि इसे पार करने के बाद मोक्ष की संभावना कम हो जाती है और यमलोक की यात्रा तय हो जाती है।
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कैसे पहचानें यमशिला सीढ़ी?
मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं के लिए तीसरी सीढ़ी को विशिष्ट रूप से काले रंग (black coloured) में रंगवा दिया है जिससे यह अन्य 21 सीढ़ियों से अलग दिखती है। इससे भक्त आसानी से इस सीढ़ी को पहचान कर श्रद्धा पूर्वक परंपरा निभा सकें।