जम्मू-कश्मीर के जंगलों में सुरक्षा बलों ने पाकिस्तानी आतंकवादी हंजल्ला को मार गिराया, लाहौर से था संबंध

Jammu Kashmir में आतंकवादियों ने सुरक्षा को सीधी चुनौती दे दी है। लगातार कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों को निशाना बनाकर एक बार फिर कश्मीर में आतंकवाद के पुराने दौर की वापसी करा चुके हैं। सोमवार को सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के एक आतंकवादी को पानीपोरा के जंगलों में हुए मुठभेड़ में मार गिराया है।

Dheerendra Gopal | Published : Jun 7, 2022 2:48 PM IST / Updated: Jun 07 2022, 08:35 PM IST

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। सुरक्षा बलों ने पानीपोरा के जंगलों में पाकिस्तानी आतंकवादी को मार गिराया है। उत्तरी कश्मीर में पुलिस पैरा मिलिट्री फोर्स और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने संयुक्त अभियान में यह कार्रवाई की है। दो दिन पहले ही सुरक्षा बलों ने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी को जिंदा गिरफ्तार किया था। 

पानीपोरा की जंगल में छिपा था 

उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर इलाके में यह मुठभेड़ हुआ। सुरक्षा बलों को यह इनपुट मिला था कि पानीपोरा जंगल में एक आतंकवादी मौजूद है। भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के पैरा मिलिट्री और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के साथ मिलकर इलाके में संयुक्त काम्बिंग अभियान चलाया। सोमवार को हुए इस काम्बिंग अभियान में पानीपोरा के जंगल में छिपा आतंकवादी फंस गया। सुरक्षा बलों से घिरे आतंकी ने गोलीबारी शुरू कर दी। कुछ देर तक उसने प्रतिरोध किया लेकिन सैन्य मुठभेड़ में वह मारा गया। 

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था मारा गया आतंकवादी

सैन्य अभियान में पानीपोरा की जंगल में मारा गया आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था। मारे गए आतंकवादी के पास से एक एके राइफल्स के अलावा काफी मात्रा में युद्ध के सामान बरामद हुए हैं। मारे गए आतंकवादी की पहचान पाकिस्तान के लाहौर निवासी हंजल्ला के रूप में हुई है।

मई में कई हत्याओं के बाद कश्मीरी पंडितों का पलायन बढ़ा

जम्मू-कश्मीर में पिछले कई महीनों से कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों को टारगेट किया जा रहा है। आतंकवादी पूरी तरह बेखौफ होकर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो केवल मई महीने में नौ नागरिकों की आतंकवादियों ने हत्या कर दी। ये टारगेट किलिंग केवल कश्मीरी पंडितों व प्रवासी श्रमिकों की हुई है। दहशतगर्दों की वजह से घाटी में खौफ की स्थिति है और कश्मीरी पंडितों का पलायन तेज हो चुका है। बताया जा रहा है कि 90 के दशक के बाद कश्मीरी पंडितों का यह सबसे बड़ा पलायन है।

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