जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने आतंकियों की कमर तोड़कर रख दी है। लेकिन सेना के लिए हमेशा एक बड़ी समस्या रही है कि आंतकी के मारे जाने के बाद उनके परिजन बंदूक उठा लेते हैं। अब सेना ने आतंकवाद से प्रभावित घाटी में युवाओं को आतंकी बनने से रोकने के लिए नई रणनीति बनाई है।
श्रीनगर. जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों ने आतंकियों की कमर तोड़कर रख दी है। लेकिन सेना के लिए हमेशा एक बड़ी समस्या रही है कि आंतकी के मारे जाने के बाद उनके परिजन बंदूक उठा लेते हैं। अब सेना ने आतंकवाद से प्रभावित घाटी में युवाओं को आतंकी बनने से रोकने के लिए नई रणनीति बनाई है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अब मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के परिजनों और रिश्तेदारों का पता लगाया जाता है। इसके बाद उनसे संपर्क कर उन्हें आतंक की राह पर ना जाने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं जिन युवाओं के आतंकी संगठन से जुड़ने की संभावना रहती है, उनके परिवार वालों से भी संपर्क किया जा रहा है। ताकि बच्चों को समझाया जा सके।
ऐसे प्रयासों को मिल रही सफलता
कश्मीर में 15वीं कोर को लीड कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने बताया कि सही समय पर मार्गदर्शन से गुमराह युवाओं को गलत कदम उठाने से रोका जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके विक्टर फोर्स के प्रमुख रहते इन प्रयासों को सफलता भी मिली है।
विक्टर फोर्स में सेना की कई यूनिट्स शामिल हैं। ये फोर्स दक्षिण कश्मीर के चार सबसे प्रभावित जिलों पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां और कुलगाम पर खास नजर रखते हैं। ये टीम मारे गए आतंकियों के संपर्क का पता लगाने का काम करती है। अभी तक सेना को इस रणनीति का लाभ होता दिख रहा है।
इस साल 80 युवा बने आतंकी
लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा, संख्या महज आंकड़ा है। सेना का मुख्य उद्देश्य बंदूक उठाने के विचार का मुकाबला करना है। उधर, दक्षिण कश्मीर पुलिस उपनिरीक्षक अतुल गोयल ने हाल ही में बताया था कि इस साल विभिन्न आतंकवादी संगठनों से करीब 80 युवा जुड़े हैं।