जेयू की प्रोफेसर का आरोप, परिसर के पास बीजेपी कार्यकर्ताओं ने की धक्कामुक्की

यादवपुर विश्वविद्यालय की एक महिला प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि संस्थान के परिसर के पास भाजपा की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने उनके साथ ‘‘धक्कामुक्की’’ की।

Asianet News Hindi | Published : Dec 31, 2019 9:59 AM IST

कोलकाता: जादवपुर विश्वविद्यालय की एक महिला प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि संस्थान के परिसर के पास भाजपा की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने उनके साथ ‘‘धक्कामुक्की’’ की। प्रोफेसर का कहना है कि भगवा संगठन के एक सदस्य द्वारा संस्थान और एक विशेष समुदाय के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का विरोध करने पर उनके साथ यह सलूक किया गया।

भाजपा नेतृत्व ने हालांकि, घटना में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया और कहा कि कई ‘‘घोर वाम समर्थकों’’ ने सोमवार को परिसर के नजदीक पार्टी की एक बैठक वाली जगह के आसपास प्रदर्शन किया, लेकिन उसके कार्यकर्ताओं ने संयम बनाए रखा।

महिला प्रोफेसर ने बताया-

विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की सहायक प्रोफेसर दोयीता मजूमदार ने फेसबुक पर लिखा, ‘‘मैं सीएए-विरोधी रैली से लौट रही थी, तभी भाजपा की भद्र महिलाओं ने मेरे साथ धक्कामुक्की और दुर्व्यवहार किया।’’ मजूमदार ने दावा किया कि महिलाएं ‘‘उसके खून की प्यासी हो गई थीं’’ और इस घटना ने उन्हें काफी डरा दिया है।

झूठ बोलना बंद करो-प्रोफेसर

उन्होंने कहा कि भगवा कार्यकर्ता खुलेआम ऊटपटांग बातें बोल रही थीं... कुछ देर तक तो ठीक रहा, फिर उन्होंने संस्थान के बारे में भी भला-बुरा बोलते हुए कहा कि ‘यह विश्वविद्यालय सभी बुराइयों की जड़ है, वह सब प्रतिदिन अल्लाहु अकबर बोलते हैं। इसपर मुझे गुस्सा आया और मैंने दो बार जोर से चिल्ला कर कहा कि यह सब ‘मिथ्या कोठा’ (झूठ-झूठ) है।’’

हमारे कार्यकर्ता किसी भी हमले में शामिल नहीं- शमिक भट्टाचार्य 

राज्य भाजपा के सूत्रों के अनुसार, पार्टी के राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता, बोंगांव से लोकसभा सांसद, शांतनु ठाकुर और राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता शमिक भट्टाचार्य सोमवार को परिसर के बाहर हुई बैठक में शामिल थे। भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘जब हम एक बैठक कर रहे थे, तब घोर वाम दलों के कुछ समर्थक कार्यक्रम स्थल के पास आ कर नारे लगाने लगे। उन्होंने हमारे कार्यकर्ताओं को भी धक्का दिया। लेकिन हमने संयम बनाए रखा। हमारे कार्यकर्ता किसी भी हमले में शामिल नहीं हैं।’’

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

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