कारगिल की लड़ाई: इंडियन एयरफोर्स के इस विमान के डर से पास नहीं आते थे पाकिस्तानी वायु सेना के विमान

Published : Jul 26, 2023, 06:28 AM IST

नई दिल्ली। आज कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जा रहा है। 1999 में कारगिल की चोटियों पर भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ी गई लड़ाई में इंडियन एयर फोर्स ने अहम रोल निभाया था।

PREV
18

दुश्मन पहाड़ की चोटियों पर कब्जा कर बैठे थे। उन्हें तबाह करने और उनकी सप्लाई लाइन को काटने के लिए भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर चलाया था। इसके तहत मिराज 2000, मिग-21 और मिग-23 जैसे विमानों ने जमकर बमबारी की थी।

28

इस बीच आसमान में उन्हें सुरक्षा देने की जिम्मेदारी मिग 29 लड़ाकू विमान ने संभाल रखी थी। उस वक्त पाकिस्तान के पास हवा से हवा में होने वाली लड़ाई में मिग 29 को टक्कर देने वाला कोई विमान नहीं था। इसके चलते पाकिस्तानी एयर फोर्स अपने विमानों को मुकाबले के लिए भेजने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।

38

पाकिस्तानी एयर फोर्स के विमान कॉम्बैट पेट्रोल के लिए उड़ान भरते थे, लेकिन एलओसी या भारत से लगती सीमा से दूर रहते थे। मिग 29 हवा से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले BVR मिसाइल R-77 से लैस थे। पाकिस्तानी एयर फोर्स के F-16 विमानों के पास इसके टक्कर का कोई मिसाइल नहीं था।

48

F-16 एक इंजन वाला विमान है। वहीं, मिग 29 दो इंजन वाला विमान है। हवाई लड़ाई में उस वक्त F-16 के लिए मिग 29 से टकराना बेहद कठिन था। यही वजह थी कि पाकिस्तानी एयरफोर्स ने लड़ाई से दूर ही रहने का फैसला किया।

58

भारत सरकार ने 25 मई 1999 को कारगिल की जंग में वायु सेना के इस्तेमाल का फैसला किया था। सरकार ने साफ कहा था कि कोई भी विमान एलओसी के पार नहीं जाएगा। पाकिस्तानी सैनिक 15 हजार से 18 हजार फीट ऊंची चोटियों पर कब्जा कर बैठे थे। इलाका एलओसी के बेहद करीब था। लड़ाकू विमानों को हमला करने के बाद वापस मुड़ने के लिए 6-8 किलोमीटर दी दूरी चाहिए थी। ऐसे में एलओसी के समानांतर उड़कर टारगेट पर हमला किया गया।

68

विमान या हेलीकॉप्टर को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तानी सैनिक जमीन से हवा में मार करने वाले स्टिंगर मिसाइल लेकर आए थे। इसका रेंज 28 हजार फीट तक था। इससे बचने के लिए विमानों ने तीस हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरी।

78

कारगिल की जंग में मुख्य रूप से मिग 21, मिग 23, मिराज 2000, जगुआर, मिग 25 और मिग 29 का इस्तेमाल किया गया। इसके साथ ही MI-17 अटैक हेलीकॉप्टर का भी इस्तेमाल हुआ। मिराज 2000 ने अपने एक हजार पाउंड वजनी लेजर गाइडेड बमों से दुश्मनों के ठिकानों को बेहद सटीकता से तबाह कर दिया था। हवाई हमला होने और पाकिस्तानी वायु सेना की ओर से कोई मदद नहीं मिलने से पाकिस्तानी सैनिकों के हौसले पस्त हो गए थे।

88

लड़ाई के दौरान विमानों ने करीब 6500 उड़ानें भरीं। लड़ाकू विमानों ने करीब 1200 बार उड़ान भरी, जिनमें से 550 उड़ानें हमले के लिए थे। निगरानी और दुश्मनों के लोकेशन की जानकारी जुटाने के लिए लड़ाकू विमानों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया गया था। हवाई हमला करने के लिए लड़ाकू विमानों की रोज 10-11 उड़ानें होतीं थीं।

Recommended Stories