मराठा गांवों को वापस लेने का महाराष्ट्र ने लिया संकल्प तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कड़ी निंदा कर कही बड़ी बात

अभी कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक विधानसभा ने भी एक इंच जमीन भी नहीं देने का संकल्प लिया था। दोनों राज्यों के विधानसभाओं में पारित हुए प्रस्ताव के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती दिख रही है।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 27, 2022 2:12 PM IST / Updated: Dec 27 2022, 07:57 PM IST

Maharashtra-Karnataka border row: बीजेपी शासित दो राज्यों में क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की विधानसभा में कर्नाटक के मराठी गांवों के संबंध में लाए गए प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है। बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अनावश्यक तूल दे रही है। दरअसल, मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य के हित के लिए कर्नाटक में गए मराठी गांवों को वापस लेने का संकल्प लिया गया। अभी कुछ दिनों पहले ही कर्नाटक विधानसभा ने भी एक इंच जमीन भी नहीं देने का संकल्प लिया था। दोनों राज्यों के विधानसभाओं में पारित हुए प्रस्ताव के बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती दिख रही है।

बोम्मई ने कहा-महाराष्ट्र बांटने की कोशिश कर रहा

महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा बहुल गांवों को कर्नाटक से वापस लेने के प्रस्ताव पारित करने पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने नाराजगी जताई है। बोम्मई ने कहा कि महाराष्ट्र के नेताओं ने जो प्रस्ताव पारित किया है, उसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि वे भड़का रहे हैं और हमें बांटने की धमकी दे रहे हैं। हम इसकी निंदा करते हैं। राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956 में) पारित हुए कई दशक बीत चुके हैं। दोनों राज्यों में लोग सद्भाव से रहते हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र राजनीति खेल रहा है। इस तरह का प्रस्ताव पारित करना सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है। हम अपने फैसलों पर कायम हैं। कर्नाटक का एक इंच भी महाराष्ट्र में नहीं जाएगा। हम कर्नाटक और कन्नड़ में कन्नड़ लोगों के हितों की रक्षा करना जारी रखेंगे।

बोम्मई ने किया सवाल सुप्रीम कोर्ट में है मामला तो प्रस्ताव क्यों?

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने पूछा कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो महाराष्ट्र को क्या जरूरत आ गई कि वह प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने कर्नाटक में पास प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा कि हमारा प्रस्ताव उनसे अलग है। हमारा संकल्प कहता है कि हम अपनी कर्नाटक (भूमि) नहीं जाने देंगे, जबकि वे कहते हैं कि इसे हमसे छीनना चाहते हैं। जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो संकल्प का कोई मतलब नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट में विश्वास करते हैं।

क्या प्रस्ताव पास किया है महाराष्ट्र ने?

महाराष्ट्र ने विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है कि वह बेलगावी, करवार, बीदर, निपानी, भाल्की सहित 865 गांवों की हर एक इंच जमीन को वापस अपने राज्य में लेंगे। बेलगावी, मराठी भाषी बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है जो बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। लेकिन राज्य पुनर्गठन के बाद वह कर्नाटक में चला गया। महाराष्ट्र इस क्षेत्र पर अपना दावा करता रहा है। उधर, कर्नाटक भी महाराष्ट्र के दक्षिण सोलापुर, अक्कलकोट क्षेत्रों पर अपना दावा करता है। यहां की आबादी कन्नड़ भाषी है।

सदन में पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने की थी केंद्र शासित प्रदेश की मांग

दरअसल, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा क्षेत्र विवाद पर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया था। उन्होंने दोनों राज्यों में बीजेपी सरकार होने के बाद भी विवाद बढ़ाने और महाराष्ट्र के हित का ख्याल न रखने का आरोप लगाया था। ठाकरे ने महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे की चुप्पी पर भी सवाल किए थे। उन्होंने केंद्र सरकार को घेरते हुए इस मामले में राजनीति करने की बजाय विवादित क्षेत्र को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। उधर, उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट के नेता संजय राउत ने कहा, "हम कर्नाटक में वैसे ही प्रवेश करेंगे जैसे चीन देश में घुस आया है।"

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