
बेंगलुरु: कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर राज्य सरकार के कर्मचारियों से "सभ्य" कपड़े पहनने को कहा है। साथ ही, ऐसे कपड़े न पहनने की चेतावनी दी है जिससे सरकार की छवि खराब हो। यह सर्कुलर अलग-अलग विभागों के प्रमुखों, डिप्टी कमिश्नरों, मुख्यमंत्री कार्यालय, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, सेक्रेटरी और जिला पंचायत के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसरों को भेजा गया है। कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (DPAR) ने यह साफ किया है कि कौन से कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
सर्कुलर में कहा गया है कि DPAR को आम लोगों और संगठनों से शिकायतें मिली हैं कि सरकारी दफ्तरों में कुछ कर्मचारी ठीक ढंग के कपड़े नहीं पहनते। चिट्ठी में यह भी साफ किया गया है कि कर्मचारियों को पहले भी सही कपड़े पहनने के लिए कहा गया है, लेकिन कई लोग इन निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि कॉर्पोरेट ऑफिसों की तरह सरकारी कर्मचारियों के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है। फिर भी, कुछ युवा कर्मचारी कॉलेज के छात्रों की तरह कपड़े पहनकर आ जाते हैं, जो ठीक नहीं है। वे फटी जींस, स्लीवलेस और बहुत टाइट कपड़े पहनते हैं। कर्नाटक राज्य सरकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सी.एस. षडक्षरी ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि किसी के पहनावे से दूसरों को परेशानी नहीं होनी चाहिए और सरकारी दफ्तरों में एक मर्यादा बनाए रखनी चाहिए।
सर्कुलर में यह भी कहा गया था कि सरकार ने एक मूवमेंट रजिस्टर और एक कैश डिक्लेरेशन रजिस्टर शुरू किया है। सरकारी कर्मचारियों को ऑफिस में आते और जाते समय इन रजिस्टरों में एंट्री करनी होगी। लेकिन कई लोग इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। कर्मचारी को सुबह 10:10 बजे तक ऑफिस पहुंचना होगा और काम खत्म होने तक अपनी सीट पर रहना होगा। अगर वे किसी सरकारी काम से बाहर जा रहे हैं, तो इसका जिक्र रजिस्टर में करना होगा। यह भी साफ किया गया है कि ऑफिस में आने से पहले और बाहर जाते समय उन्हें अपने पर्स या जेब में मौजूद रकम को कैश रजिस्टर में दर्ज करना होगा।