बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी। सीएम ने याचिका लगाकर अपने खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती दी थी। कोर्ट के फैसले से सिद्धारमैया की पत्नी को MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) से मिली जमीन मामले की जांच का रास्ता खुल गया है।
कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायत की थी। कहा था कि गलत तरीके से सीएम की पत्नी को MUDA ने 14 कीमती जमीन दिए हैं। इन शिकायतों के बाद राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने सीएम के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी थी। सिद्धारमैया ने कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हालांकि, जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की पीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही मामले की प्रथम दृष्टया जांच की आवश्यकता पर बल दिया। अब सिद्धारमैया के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा है।
हाईकोर्ट ने माना राज्यपाल ने नहीं की गलती
हाईकोर्ट का फैसला धारा 17ए पर आधारित था। यह लोक सेवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की कानूनी प्रक्रियाओं से संबंधित है। कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश में कोई कानूनी खामी नहीं पाई। इससे यह पुष्टि हुई कि राज्यपाल ने अपने अधिकार का उचित इस्तेमाल किया है।
सिद्धारमैया के लिए बड़ गई कानूनी परेशानी
सिद्धारमैया को अब गंभीर कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने राज्यपाल के फैसले पर कोर्ट से रोक लगवाने का प्रयास किया। जस्टिस नागप्रसन्ना ने इसे मंजूर नहीं किया। सिंघवी ने लोअर कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम निषेधाज्ञा बढ़ाने की भी मांग की, लेकिन इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के फैसले से यह तय हो गया है कि MUDA घोटाले की जांच आगे बढ़ सकेगी।
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