कर्नाटक पावर क्लैश: DKS-सिद्धारमैया खामोश और समर्थकों में उबाल-क्या ये बड़े बदलाव की आहट है?

Published : Dec 03, 2025, 02:31 PM IST
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सार

क्या कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक किसी बड़े बदलाव का संकेत है? मंगलुरु में DKS-Siddaramaiah गुटों के टकराते नारों ने क्या हाईकमान को कठिन फैसले की ओर धकेल दिया है? पार्टी की एकजुटता के पीछे क्या कोई छिपी सच्चाई है?

Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक की राजनीति इन दिनों फिर से गरमाई हुई है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी CM डीके शिवकुमार (DKS) के बीच सबकुछ ठीक होने की कोशिशें लगातार की जा रही हैं, लेकिन ज़मीनी हालात कुछ और ही कहानी कहते दिख रहे हैं। मंगलुरु में जो हुआ, उसने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कांग्रेस हाईकमान को अब सख्त कदम उठाने होंगे?

केसी वेणुगोपाल के सामने नारेबाजी करने लगे डीके समर्थक

AICC जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल जब मंगलुरु एयरपोर्ट पहुंचे, तो डीेके शिवकुमार के सपोर्टर्स अचानक उनके सामने नारेबाजी करने लगे। कुछ देर बाद सिद्धारमैया के समर्थक भी पहुंच गए और “फुल टर्म CM सिद्धारमैया” के नारे लगाकर अपनी शक्ति दिखाने लगे। यह पूरा मामला अचानक ऐसे मोड़ पर पहुंचा कि देखकर लगा जैसे कांग्रेस सरकार के दो बड़े चेहरे अपने समर्थकों के ज़रिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हों।

क्या कर्नाटक में CM बदलने की चर्चा फिर तेज हो गई है?

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कुछ दिन पहले ही 2.5 साल पूरे किए हैं, और यह वही समय है जब ‘रोटेशनल CM फॉर्मूला’ की चर्चा फिर उठी है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने कभी इस फॉर्मूले को ऑफिशियल रूप से मंज़ूरी नहीं दी, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का एक बड़ा हिस्सा अब भी मानता है कि “2.5 साल सिद्धारमैया -2.5 साल DKS” का अनौपचारिक समझौता हुआ था। मंगलुरु में दोनों नेताओं के समर्थकों का आमने-सामने आना यह दिखाता है कि कहीं न कहीं कैडर के अंदर उम्मीदें, भ्रम और बेचैनी बढ़ती जा रही हैं।

सपोर्टर्स की नारेबाजी: क्या यह सिर्फ भावनाएं हैं या अंदरूनी खींचतान?

शिवकुमार के एक करीबी नेता मिथुन राय ने कहा कि पार्टी के अंदर कोई दुश्मनी नहीं है।  जनता और कार्यकर्ताओ के मन में डीके शिवकुमार के लिए “नैचुरल प्यार” है। लेकिन सवाल यह है कि अगर सबकुछ ठीक है, तो इतनी बड़ी संख्या में समर्थक अचानक एयरपोर्ट पर क्यों पहुंच गए?  दूसरी तरफ, जैसे ही सिद्धारमैया पहुंचे, उनके समर्थकों ने फुल टर्म CM के नारे लगा दिए। यह साफ दिखाता है कि सिद्धारमैया के समर्थन में भी उतनी ही मजबूत भीड़ खड़ी है। ऐसा माहौल किसी छोटी सी बात से नहीं बनता, बल्कि यह उन भावनाओं का नतीजा है जो लंबे समय से भीतर ही भीतर उबल रही हों।

क्या कांग्रेस हाईकमान अब निर्णायक कदम उठाएगा?

कांग्रेस नेतृत्व अब तक यही कह रहा है कि दोनों नेता एकजुट हैं और किसी तरह का कोई मतभेद नहीं है। दोनों की लगातार हो रही “ब्रेकफास्ट मीटिंग्स” को भी यही संदेश देने के लिए प्लान किया गया था। लेकिन मंगलुरु की घटना हाईकमान के लिए एक चेतावनी की तरह है—कि कार्यकर्ताओं में उभर रही असुरक्षा और नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीदें अब सड़क पर आने लगी हैं। पार्टी नेतृत्व के लिए यह स्थिति संवेदनशील इसलिए है क्योंकि कर्नाटक कांग्रेस की सबसे मजबूत सरकारों में से एक है, और किसी भी मतभेद से आगामी चुनाव पर बड़ा असर पड़ सकता है।

क्या DKS बनेंगे CM? या सिद्धारमैया फुल टर्म पूरा करेंगे?

यह सबसे बड़ा सवाल है।

  • पार्टी कहती है कि हाईकमान तय करेगा।
  • कार्यकर्ता कहते हैं कि समय आ गया है।
  • सरकार कहती है कि सब ठीक है।
  • लेकिन घटनाएं लगातार कह रही हैं कि कुछ बड़ा पक रहा है।

आने वाले हफ्ते तय करेंगे कि कर्नाटक कांग्रेस में यह शोर सिर्फ कार्यकर्ताओं की भावना है या एक बड़े बदलाव की दस्तक।

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