Sidda vs DKS: सीएम पद की खींचतान के बीच डीके ने क्यों किया सोनिया गांधी का जिक्र

Published : Nov 28, 2025, 06:37 PM ISTUpdated : Nov 28, 2025, 07:06 PM IST
Karnataka CM Post Row

सार

कर्नाटक CM पद पर सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार के बीच खींचतान बढ़ी। डीके ने सोनिया गांधी का उदाहरण देकर कहा कि उन्होंने 2004 में PM पद त्याग मनमोहन सिंह को दिया। आखिर उनके इस बयान के क्या हैं मायने, आइए जानते हैं। 

Karnataka Politics: कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार के बीच खींचतान कांग्रेस पार्टी के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। शुक्रवार शाम को डीके शिवकुमार ने सोनिया गांधी का उदाहरण देकर इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह दिया है। आखिर डीकेएस ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह का जिक्र क्यों किया और इसके क्या मायने हैं?

सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए क्या बोले डीके?

बेंगलुरु में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में डीके शिवकुमार ने कहा कि पूर्व कांग्रेस बॉस (सोनिया गांधी) ने 2004 में पार्टी के नेतृत्व वाले यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री बनने का मौका छोड़ दिया था। खुद पीएम बनने के बजाय उन्होंने मनमोहन सिंह को आगे बढ़ाया, जो एक बेहतरीन अर्थशास्त्री थे और रिजर्व बैंक के गवर्नर और फिर वित्त मंत्री के रूप में काम कर चुके थे।

डीके के इस बयान के क्या हैं मायने?

डीके शिवकुमार के इस बयान में साफतौर पर यह संकेत है कि जब कांग्रेस की सबसे बड़ी लीडर ने अपनी सत्ता कुर्बान कर दी तो कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी बात से क्यों पलट रहे हैं। पॉलिटिकल एनालिस्ट्स का भी मानना है कि जब कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के रोटेशन को लेकर मामला काफी गरम है, तो ऐसे वक्त में शिवकुमार का त्याग की मिसाल देने वाला उदाहरण एक छुपा हुआ संदेश देता है। उनके कहने का मतलब है कि कांग्रेस लीडरशिप में त्याग की परंपरा रही है और इसे निभाने का वक्त एक बार फिर आ गया है।

समझौते का सम्मान करने की याद दिला रहे DKS

कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धारमैया की जगह डीकेएस का समर्थन करने वाले कांग्रेस सांसदों की मांग है कि 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद हुई एक 'डील' का सम्मान किया जाए। यह 'डील' इसलिए हुई थी क्योंकि दोनों ही मुख्यमंत्री का पद चाहते थे। ऐसे में कहा गया था कि दोनों का शासन 2.5- 2.5 साल का होगा। सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन वो अब तक पीछे हटने को तैयार नहीं हुए हैं। ऐसे में शिवकुमार और उनके समर्थक लगातार उन्हें और कांग्रेस लीडरशिप को समझौते का सम्मान करने की याद दिला रहे हैं।

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