एनालिसिस: ढाई साल बाद हुआ योगी सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार; हिंदुत्ववादी छवि-जातीय गणित का रखा ध्यान

योगी सरकार ने ढाई साल में अपना पहला मंत्रिमंडल विस्तार किया है। बुधवार को हुए विस्तार में 23 नए चेहरों को जगह दी गई। सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर और योगेश श्रीवास्तव ने बताया कि विस्तार में जातीय गणित का ध्यान रखा गया है साथ ही हिंदुत्वादी छवि को भी बरकरार रखा गया है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2019 1:01 PM IST / Updated: Aug 21 2019, 06:35 PM IST

लखनऊ. योगी सरकार ने ढाई साल में अपना पहला मंत्रिमंडल विस्तार किया है। बुधवार को हुए विस्तार में 23 नए चेहरों को जगह दी गई। सीनियर जर्नलिस्ट प्रदीप कपूर और योगेश श्रीवास्तव ने बताया कि विस्तार में जातीय गणित का ध्यान रखा गया है साथ ही हिंदुत्वादी छवि को भी बरकरार रखा गया है। उन्हीने बताया आगामी दिनों में होने वाले 12 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को एक तरह से सेमीफाइनल माना जा रहा है। यह चुनाव जिताने में यह विस्तार अहम रोल निभाएगा। 

जातीय गणित का रखा गया है ख्याल
23 मंत्रियों को लाने के साथ साथ जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है। विस्तार में 6 ब्राह्मणों को स्थान दिया गया है। जबकि तीन वैश्य, और 12 दलित-पिछड़े वर्ग के साथ साथ 2 ठाकुरों को भी स्थान दिया गया है। दरअसल, सरकार के ऊपर आरोप लगते रहे हैं कि योगी ने ठाकुरों को ही तरजीह दी है। ऐसे में इस विस्तार के साथ उन्होंने मैसेज भी दे दिया है कि हमारे लिए सोशल इंजीनियरिंग ज्यादा महत्वपूर्ण है। 

क्षेत्रीयता का भी ध्यान रखा गया
इस मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीयता का भी ध्यान रखा गया है। खासतौर से पश्चिम को वरीयता दी गयी है। साथ ही पूर्वांचल के भी ख्याल रखा गया है। दरअसल, यूपी के ये दोनों ही हिस्से भाजपा के लिए अहम मायने रखते हैं। 

2022 है टारगेट, उपचुनाव तो हैं सेमीफाइनल
2019 लोकसभा चुनावों के बाद खाली हुई 12 विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव एक तरह से सेमीफाइनल माना जा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि योगी सरकार की नजर 2022 पर है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में एक बार और विस्तार हो लेकिन ज्यादा विस्तार होने की संभावना कम है। उन्होंने बताया कि सरकार सोशल इंजीनियरिंग के तहत जनता के बीच पैठ बनाना चाहती है। यही वजह है कि अपने काम मे फेल मंत्रियों को हटाकर साफ मैसेज भी जनता के बीच दे दिया है। याब सरकार की वरीयता होगी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास सरकार की योजनाएं और उनका लाभ पहुंचे। जिससे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा एक बार फिर अपना झंडा गाड़ सके।

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