वायनाड में प्रियंका गांधी पर विजयन का बड़ा आरोप, जानें क्या है पूरा मामला?

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने वायनाड उपचुनाव में प्रियंका गांधी पर जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से चुनाव लड़ने का आरोप लगाया है। उन्होंने कांग्रेस के सेक्युलर चेहरे पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या कांग्रेस जमात के वोटों को अस्वीकार कर सकती है?

Dheerendra Gopal | Published : Nov 8, 2024 9:20 AM IST

Wayanad bye election: केरल की वायनाड लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में एनडीए तो चुनाव मैदान में है ही इंडिया गठबंधन भी अलग-अलग होकर एक दूसरे से भिड़ा हुआ है। केरल के मुख्यमंत्री वामपंथी नेता पिनाराई विजयन ने प्रियंका गांधी पर आरोप लगाया है कि वह जमात-ए-इस्लामी के सहयोग से चुनाव लड़ रही हैं। प्रियंका कांग्रेस की प्रत्याशी हैं। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि जमात-ए-इस्लामी एक सांप्रदायिक संगठन है। ऐसे संगठन के समर्थन से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना, कांग्रेस के सेकुलर चेहरे को उजागर करता है।

13 नवम्बर को वायनाड लोकसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए वोट पड़ेंगे। वोटिंग के पहले केरल ही नहीं देश की राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रियंका गांधी ने चुनावी राजनीति में डेब्यू किया है। राहुल गांधी के इस्तीफा के बाद यह सीट खाली हुई है। इसके बाद प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किया था।

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शुक्रवार को केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रियंका गांधी पर हमला तेज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी वाड्रा जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वायनाड लोकसभा उपचुनाव लड़ रही हैं। वायनाड में उपचुनाव ने कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्ष मुखौटे को पूरी तरह से उजागर कर दिया है।

फेसबुक पोस्ट पर उन्होंने सवाल किया:प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से वहां उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही हैं। तो कांग्रेस का रुख क्या है? हमारा देश जमात-ए-इस्लामी से अपरिचित नहीं है। क्या उस संगठन की विचारधारा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है? जमात-ए-इस्लामी राष्ट्र या उसके लोकतंत्र को महत्व नहीं देता है और राष्ट्र के शासन ढांचे की अवहेलना करता है।

बीजेपी से भी जमात-ए-इस्लामी के सांठगांठ का आरोप

सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी ने जम्मू-कश्मीर में चुनावों का लंबे समय से विरोध किया है और मजबूत सांप्रदायिक रुख को बढ़ावा दिया है। बाद में उन्होंने खुद को भाजपा (कश्मीर में) के साथ जोड़ लिया। विजयन ने दावा किया कि जमात-ए-इस्लामी ने जम्मू-कश्मीर में तीन या चार सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी। लेकिन आखिर में वहां ध्यान केंद्रित किया जहां सीपीआई (एम) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी खड़े थे। लक्ष्य तारिगामी को हराना था और भाजपा ने इस उद्देश्य में जमात का साथ दिया था। चरमपंथियों और भाजपा के इस गठबंधन के बावजूद, लोगों ने तारिगामी को चुना।

क्या कांग्रेस यह कह सकती है कि उसे जमात का वोट नहीं चाहिए?

मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि क्या धर्मनिरपेक्षता के लिए खड़े लोगों को सभी तरह के सांप्रदायिकता का विरोध नहीं करना चाहिए? क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है? क्या कांग्रेस जमात-ए-इस्लामी के वोटों को अस्वीकार कर सकती है? सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य ने कांग्रेस नेताओं से दिवंगत मार्क्सवादी नेता ईएमएस नंबूदरीपाद के एक बयान को याद कराया जब उन्होंने एक चुनाव में खुलेआम कहा था कि हमें आरएसएस के वोट नहीं चाहिए। इस उदाहरण का हवाला देते हुए विजयन ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस भी इसी तरह का सैद्धांतिक रुख अपना सकती है।

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