पार्किंग शुल्क प्रथम दृष्टया अवैध, कल आप लिफ्ट जैसी सेवा के लिए भी पैसा वसूलने लगेंगे : केरल हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने केरल नगर पालिका भवन नियम 1994 के प्रावधानों के आधार पर मामले को देखा। इन नियमों के अनुसार किसी भी वाणिज्यिक भवन को उसकी पार्किंग की जगह देखने के बाद ही अनुमति दी जाती है। कोर्ट का कहना है कि जिस आधार पर आपको इमारत बनाने की अनुमति मिली उसके नाम पर आप पैसा नहीं वसूल सकते। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 28, 2022 10:45 AM IST / Updated: Jan 28 2022, 04:16 PM IST


काेच्चि। केरल हाईकोर्ट (Kerala high court) ने शुक्रवार को शॉपिंग मॉल जैसी कॉमर्शियल जगहों पर पार्किंग शुल्क लिए जाने को अवैध बताया। कोर्ट ने कहा कि आज आप पार्किंग के लिए पैसा मांग रहे हैं। कल आप लिफ्ट के लिए भी पैसे इकट्‌ठा करने लगेंगे। यह अवैध है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में अभी फैसला नहीं सुनाया है। जज ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही अदालत किसी भी अंतिम निर्णय पर पहुंचेगी। 
मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी, 2022 को होगी। 

एर्नाकुलम के शॉपिंग मॉल से जुड़ा मामला
मामला एर्नाकुलम में लुलु इंटरनेशनल शॉपिंग मॉल से जुड़ा हुआ है। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि केरल नगर पालिका भवन नियम 1994 के अनुसार जो भी लोग परिसर में आ रहे हैं, उनके लिए पार्किंग की व्यवस्था अनिवार्य तौर पर करना भवन स्वामी की जिम्मेदारी है। उन्होंने अपनी पिछली राय दोहराई कि ऐसी परिस्थितियों में पार्किंग शुल्क जमा करना प्रथम दृष्टया अवैध होगा।

आप सेवा मुहैया कर रहे, इसके लिए शुल्क लेना ठीक नहीं
जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि मेरे हिसाब से बिल्डिंग की परमिशन केवल पार्किंग स्थान को शामिल करने पर दी जाती है। उस पार्किंग सुविधा के साथ बिल्डिंग परमिट देने के बाद आप एक अतिरिक्त शुल्क जमा नहीं कर सकते, क्योंकि यह इमारत का हिस्सा है। उन्होंने मॉल की तरफ से पेश वकील से कहा कि कल से आप लिफ्ट के लिए भी शुल्क जमा करना शुरू कर देंगे, क्योंकि आप एक सेवा मुहैया करा रहे हैं। यह ठीक नहीं है। 

फिल्म निर्देशक से वसूले थे पार्किंग के 20 रुपए 
हाईकोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे फिल्म निर्देशक पॉली वडक्कन ने अधिवक्ता जोमी के जोस के माध्यम से प्रस्तुत किया था। इसी महीने की शुरुआत में मॉल का दौरा करने पर उनसे पार्किंग शुल्क के रूप में 20 रुपए वसूले गए थे। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह केरल नगर पालिका अधिनियम और केरल नगर पालिका भवन नियमों का घोर उल्लंघन है, जिसके अनुसार एक वाणिज्यिक परिसर में पार्किंग के लिए अनुमोदित भवन योजना में निर्धारित स्थान को पे एंड पार्क सुविधा में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

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