माकपा ने कहा कि भागवत के संबोधन से आरएसएस की फासीवादी विचारधारा उजागर हुई है। पार्टी ने कहा कि भीड़ हिंसा की घटनाओं को अपवाद बताने वाले भागवत के बयान से आरएसएस के दोहरे मानदंड साबित हो गए हैं।
नई दिल्ली: माकपा ने भीड़ हिंसा का भारतीय परंपरा में कोई स्थान नहीं होने और ‘लिंचिंग’ शब्द की उत्पत्ति पश्चिमी देशों में होने के आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के दावे को गलत बताते हुए कहा है कि लिंचिंग शब्द सरहद और संस्कृति के दायरे से बाहर है।
सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं मोहन भागवत- माकपा
माकपा के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के आगामी अंक में प्रकाशित होने वाले संपादकीय लेख में पार्टी ने कहा कि लिंचिंग शब्द का देश की सीमाओं और संस्कृति से कोई ताल्लुक नहीं है। पार्टी ने भागवत पर भीड़ हिंसा की हकीकत को नकारने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस प्रमुख ऐसे समय में इस सच्चाई से मुंह मोड़ रहे हैं जब देश में भीड़ हिंसा में लोगों की मौत हो रही है। उल्लेखनीय है कि भागवत ने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में विजयदशमी समारोह में कहा था कि ‘लिंचिंग’ शब्द का भारतीय परंपरा में कोई वजूद नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक हिंसा की चुनिंदा घटनाओं को लिंचिंग जैसे विदेशी शब्द के दायरे में रखकर देश की छवि को धूमिल किया जा रहा है।
भागवत के संबोधन से आरएसएस की फासीवादी विचारधारा उजागर हुई
माकपा ने कहा कि भागवत के संबोधन से आरएसएस की फासीवादी विचारधारा उजागर हुई है। पार्टी ने कहा कि भीड़ हिंसा की घटनाओं को अपवाद बताने वाले भागवत के बयान से आरएसएस के दोहरे मानदंड साबित हो गए हैं। एक तरफ भागवत भीड़ हिंसा की घटनाओं को नकार रहे हैं और दूसरी तरफ यह भी कह रहे हैं कि इस तरह की घटनाए देश और हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए बढ़ा चढ़ा कर पेश की जा रही है।
हिंसा को रोकने के लिए संसद में पेश हो बिल- माकपा
पार्टी ने कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा और आरएसएस के इस तरह के नजरिये को देखते हुए, आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि इस मामले में सत्ताधारी पक्ष उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को भी नजरंदाज कर दे। माकपा ने कहा कि भीड़ हिंसा को रोकने के लिए मोदी सरकार संसद में न तो काई कानून लाने के लिए तैयार है और ना ही इस तरह के मामलों की त्वरित जांच के लिए कोई निर्देश जारी किए हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)