
Maulana Syed Kalbe Jawad: शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ बाय यूजर के बारे में झूठ बोल रही है। सरकार का दावा है कि 2025 से पहले की वक्फ संपत्तियों पर इसका कोई असर नहीं होगा, लेकिन मौलाना कल्बे जवाद का कहना है कि नए कानून के तहत किसी भी वक्फ संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में ले सकती है और उसे सरकारी संपत्ति घोषित कर सकती है।
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत वक्फ संपत्तियों पर फैसला लेने का अधिकार पूरी तरह सरकारी अधिकारियों के पास होगा। इसका मतलब है कि सरकार किसी भी वक्फ संपत्ति को अपने नियंत्रण में ले सकती है क्योंकि कोई भी सरकारी अधिकारी सरकार की मंशा के खिलाफ काम नहीं करेगा।
मौलाना जवाद ने यह भी कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि वक्फ का धर्म से कोई संबंध नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता के फतवों का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है और सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
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जब मौलाना जवाद से पूछा गया कि सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड ने कई ऐतिहासिक और पुरानी संपत्तियों को अपनी संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया है, जिनमें अग्रसेन की बावली और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की संपत्तियां शामिल हैं, तो उन्होंने इसे सरकार द्वारा वक्फ एक्ट में संशोधन करने के लिए उठाया गया कदम बताया। उनका मानना है कि सरकार ने यह मुद्दा सिर्फ वक्फ कानून में बदलाव को सही ठहराने के लिए उठाया है।
वक्फ संशोधन कानून को लेकर देशभर में बहस तेज हो गई है। सरकार का कहना है कि यह कानून पारदर्शिता बढ़ाने और वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है। लेकिन धार्मिक नेता इसे वक्फ की स्वायत्तता पर सीधा हमला मान रहे हैं। उनका आरोप है कि नए प्रावधानों से सरकार को वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण का अधिकार मिल जाएगा, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।