बोतल बंद पानी, पैक्ड फूड और बीयर से इंसान के शरीर में पहुंच रहा माइक्रोप्लास्टिक, यह डीएनए तक के लिए घातक

आधुनिकता की अंधी दौड़ में लोगों को जो सुविधाएं मिल रही वह उन्हें मुसीबत में भी डाल सकती हैं। एक नए शोध से पता चला है कि बंद बोतल में मिलने वाला पानी, प्लास्टिक के बंद खाने के पैकेट व हवा के जरिए प्लास्टिक के छोटे कण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 28, 2022 9:04 AM IST

नई दिल्ली। पानी की बोतल, पैकेज्ड फूड और बीयर की बोतलों से हम हर साल औसतन माइक्रोप्लास्टिक के डेढ़ लाख कण शरीर में खा या पी जाते हैं। यह चौंकाने वाला है, लेकिन हकीकत में यह सही है। ताजा शोध में मिले चौंकाने वाले तथ्य से वैज्ञानिक भी हैरान है। पानी के बोतल के साथ ही बीयर की बोतल भी माइक्रोप्लास्टिक को हमारे शरीर के अंदर पहुंचाने वाला प्रमुख साधन है। लेकिन इस तथ्य के प्रति अंजान रहने के कारण लोग इसे समझ नहीं पा रहे है। प्लास्टिक में पैक वस्तुओं के अधिक सेवन से इसका असर सीधे हमारे शरीर पर पड़ सकता है। 

क्या होता माइक्रोप्लास्टिक 
माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक का बहुत ही सूक्ष्म कण होता है। जब किसी खाद्य या पेय पदार्थ को प्लास्टिक बोतल, पन्नी आदि में रखा जाता है तो अधिक देर उस बर्तन में रहने से प्लास्टिक के कण टूट कर उसमें रखे पानी व खाद्य सामाग्री में मिल जाते है। अतिसूक्ष्म होने के कारण हम से अपनी खुली आंखों से नही देख पाते हैं। जैसे बैक्टरिया हमारी आंखों से नहीं दिखाई देते हैं उसी प्रकार से प्लास्टिक के सूक्ष्म कण भी आंखों से नहीं देखे जा सकते है। इन्हें हम सूक्ष्मदर्शी के सहायता से ही देख सकते है। 

ऐसे हुआ मानव शरीर में माइक्रोप्लास्टिक का खुलासा 
नीदरलैंड में हुए शोध में इस हैरान करने वाली घटना का खुलासा हुआ। जिसमें वैज्ञानिकों ने 22 स्वास्थ्य लोगों के खून के नमूने जांच को लिये, इनमेें से 17 लोगों के खून में प्लास्टिक के सूक्ष्म कणों की पुष्टि हुई। इस घटना से वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। हालांकि इसमें राहत वाली बात यह रही कि जिन लोगों के खून में माइक्रोप्लास्टिक मिली है। उन्हें किसी प्रकार की बीमारी नहीं थी और वह लोग पूरी तरह से स्वस्थ्य पाए गए थे। हालांकि वैज्ञानिकों ने माना यदि माइक्रोप्लास्टिक अधिक मात्रा में खून में मिलता है तो इससे नुकसान संभव है।

क्या होता माइक्रोप्लास्टिक 
माइक्रो प्लास्टिक प्लास्टिक के बेहद सूक्ष्म कण होते हैं। इनकी लंबाई 5 मिलीमीटर से भी कम होती है। यह प्लास्टिक समुद्र और जलीय जीवों के लिए घातक होते हैं। माइक्रोप्लास्टिक तेल व गैस उत्पादों से निकाले गए पेट्रोकेमिकल्स से प्राप्त होते हैं। माइक्रोप्लास्टिक के कुछ कण बेहद जहरीले होते हैं, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इससे मनुष्यों में कैंसर हो सकता है। यह डीएनए को नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए माइक्रोप्लास्टिक के कण बेहद ही खतरनाक साबित होते हैं।

प्रतिवर्ष डेढ़ लाख माइक्रोप्लास्टिक शरीर में पहुंच रहे  
कॉक्स एट आल की एक रिपोर्ट के अनुसार औसतन प्रत्येक व्यक्ति 74 हजार से डेढ़ लाख के बीच माइक्रो प्लास्टिक को अंजाने में खा जाता है। इस संबंध में हुए अध्ययनों से पता चला है कि एक लीटर में माइक्रोप्लास्टिक की औसत संख्या 94 है, जबकि माइक्रो प्लास्टिक का दूसरा सबसे अधिक खतरनाक जरिया बीयर की बोतल है। एक बीयर की बोतल में 32 माइक्रोप्लास्टिक पाए जाते हैं। शोध के अनुसार इंसान वायुमण्डल से जो हवा लेता है, उसमें 9.80 कण माइक्रोप्लास्टिक के भी सांस के जरिए अपने अंदर ले लेता है। ईपीए के एक्सपोजर फैक्टर के अनुसार 31 से 51 वर्ष के व्यक्ति प्रतिदिन 16 वर्ग मीटर के दायरे में माइक्रोप्लास्टिक को अपने अंदर लेता है।  

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