यूक्रेन से भारतीय छात्र नवीन की बॉडी लाने में मोदी ने की बड़ी पहल, राजीव चंद्रशेखर ने किया पीएम का धन्यवाद

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सोमवार को कर्नाटक सरकार और नवीन शेखरप्पा के माता-पिता व लोगों की ओर से ट्विटर पर धन्यवाद संदेश पोस्ट किया।

कोलकाता। रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia Ukraine War) में भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा (Naveen Shekharappa) की मौत हो गई थी। खार्किव में नवीन रूसी सैनिकों द्वारा की गई गोलीबारी की चपेट में आ गए थे, जिसके चलते उनकी मौत हो गई थी। भारत सरकार की पहल पर नवीन के शव को युद्धग्रस्त यूक्रेन से सोमवार सुबह बेंगलुरू लाया गया। 

इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री व सांसद राजीव चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र की सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। सोमवार को राजीव चंद्रशेखर ने कर्नाटक सरकार, नवीन के माता-पिता और लोगों की ओर से ट्विटर पर धन्यवाद संदेश पोस्ट किया। उन्होंने इस कठिन समय में नवीन के पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए मानवीय कार्यों के लिए नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। 

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वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि भारतीय छात्र का शव सोमवार को बेंगलुरु लाया गया। उनका घर कर्नाटक के हावेरी जिले में है। वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे। उन्होंने अपनी मृत्यु के दिन कई भारतीय छात्रों को खार्किव छोड़ने में मदद की, लेकिन वह अकेले रहे। 1 मार्च को खार्किव शहर में रूसी सेना के हमले में नवीन की मौत हो गई। वह चल रहे रूस-यूक्रेन जंग में मारे गए पहले भारतीय नागरिक थे। वह खार्किव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष के छात्र थे। 

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किराने का सामान लेने बंकर से निकले थे नवीन
खार्किव से लौटे उनके एक जूनियर चंदन गौड़ा ने एशियानेट न्यूज को बताया कि नवीन ने कई लोगों के शहर छोड़ने की व्यवस्था की थी। हालांकि कुछ और भारतीय छात्र वहां रहे नवीन उनके लिए खार्किव में बने रहे। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से वे खार्किव में एक बंकर में छिपे हुए थे। घटना वाले दिन नवीन किराने का सामान लेने बंकर से बाहर आए थे। रूसी सेना द्वारा दागा गया एक गोला गिर गया, जिसमें कई अन्य लोगों के साथ होनहार भारतीय छात्र की मौत हो गई थी। चंदन ने कहा कि वह पिछले साल वार्षिक परीक्षा में प्रथम आए थे। नवीन के पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा हर संभव प्रयास किया गया। चल रहे युद्ध के कारण उनका पार्थिव शरीर यूक्रेन से तत्काल भारत नहीं लौटाया जा सका था।

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