दिल्ली कोर्ट ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया। एमजे अकबर ने अपने मानहानि के मुकदमे में दावा किया था कि प्रिया रमानी ने 2017 में लिखे एक लेख में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया था।
नई दिल्ली. दिल्ली कोर्ट ने बुधवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया। एमजे अकबर ने अपने मानहानि के मुकदमे में दावा किया था कि प्रिया रमानी ने 2017 में लिखे एक लेख में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया था।
मी टू कैंपेन के वक्त प्रिया रमानी ने एमजे अकबर के खिलाफ आरोप लगाया था। रमानी ने 2017 में एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक " टू द हार्वे विंस्टीन ऑफ द वर्ल्ड " था। अपने लेख में प्रिया रमानी ने अकबर का नाम नहीं लिया था। एक साल बाद जब भारत में MeToo अभियान शुरू हुआ, तो रमानी ने ट्विटर पर खुलासा किया कि उन्होंने अकबर के बारे में बात की थी।
रमानी ने कब की घटना का जिक्र किया था
रमानी ने जिस घटना का जिक्र किया था वह दशक पुरानी थी। तब एमजे अकबर पत्रकार थे। 20 साल बाद रमानी ने उनके नाम का खुलासा किया। जब खुलासा हुआ तब एमजे अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री थे।
कोर्ट ने क्या-क्या टिप्पणियां कीं?
कोर्ट ने कहा कि समाज को ये समझना होगा कि महिलाओं पर यौन उत्पीड़न का कैसा असर होता है? इस तरह का उत्पीड़न गरिमा के खिलाफ है और आत्मविश्वास छीन लेता है। व्यक्तिगत गरिमा के नाम पर किसी की छवि को बनाए नहीं रखा जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति सोशल स्टेटस रखता है वह भी यौन उत्पीड़न कर सकता है। यौन उत्पीड़न के ज्यादातर मामले बंद दरवाजों के पीछे होते हैं।
"महिलाओं को दशकों बाद भी शिकायत का अधिकार"
कोर्ट ने कहा कि विक्टिम कई बार ये नहीं समझ पाती कि उनके साथ क्या हुआ है, इसलिए महिलाओं को दशकों बाद भी अपनी शिकायत बताने का अधिकार है।