कृषि बिलों के विरोध में हनुमान बेनीवाल ने NDA से नाता तोड़ा; किसान 29 दिसंबर को बातचीत के लिए तैयार

कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए किसानों को एक महीना पूरा हो गया है। 26 नवंबर को किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। उम्मीद जताई जा रही है कि शनिवार को किसान सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला ले सकते हैं। सरकार ने बातचीत के लिए दो बार पत्र लिखकर बातचीत का न्यौता भेजा था। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 26, 2020 2:28 AM IST / Updated: Dec 26 2020, 07:01 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए किसानों को एक महीना पूरा हो गया है। 26 नवंबर को किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। आज शनिवार को किसान संगठनों के बीच बैठक हुई। इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के पत्र को लेकर चर्चा की। बैठक में किसानों ने सरकार के साथ 29 दिसंबर को बैठक करने का फैसला लिया है। हालांकि, किसानों का कहना है कि वे एमएसपी पर गारंटी की मांग पर अड़े रहेंगे। इससे पहले सरकार ने बातचीत के लिए दो बार पत्र लिखकर बातचीत का न्यौता भेजा था। वहीं, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कृषि बिलों पर चर्चा के लिए चुनौती दी है। 

किसानों की बैठक में हुए ये फैसले

- क्रांतिकारी किसान संगठन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, पंजाब और हरियाणा के टोल प्लाजा खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर पर किसान ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। 
- स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा, हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर ये प्रस्ताव रख रहे हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर 2020 को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए।
- उन्होंने कहा, बैठक का एजेंडा ये हो- तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए स्वामीनाथन कमीशन द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गांरटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान।
- राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में जरूरी बदलाव होने चाहिए। 

लोकसभा से इस्तीफा देने को तैयार बेनीवाल 
उधर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल बोले- हमारा विरोध यही है कि तीनों कृषि कानूनों को वापिस लिया जाए। मैंने लोकसभा की तीनों कमेटियों से इस्तीफा दे दिया है। आवश्यकता पड़ी तो NDA छोड़ने का ऐलान करूंगा, आवश्यकता पड़ी तो लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दूंगा।

"हम आतंकवादी नहीं किसान हैं"

सिंघु बॉर्डर से एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, मोदी सरकार से विनती है कि ये 3 काले कानूनों को रद्द करें। जो लोग हमें आतंकवादी कह रहे हैं हम आतंकवादी नहीं हैं.. जब हम हिंदुओं के लिए लड़ते हैं तब हम फरिश्ते और जब हम अपने लिए लड़ रहें तो हमें आतंकवादी बोल दिया जाता है..हम आतंकवादी नहीं किसान हैं। 

 

दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल एक किसान ने कहा, सरकार के पत्र में कोई प्रस्ताव नहीं है। हमें लगता है कि सरकार हमारी मांगों को समझ नहीं पाई है। इसलिए संभव है कि हम नए सिरे से बातचीत करें। एक किसान ने कहा, इन कानूनों में निजी मंडियों का जिक्र है। यह कौन तय करेगा कि हमारी फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाएगा। 

सरकार के पत्र पर किसानों ने शुक्रवार को आपस में बात की। लेकिन उसमें कोई फैसला नहीं लिया गया। किसानों ने कहा कि शनिवार को उनकी एक और बैठक होगी, जिसमें आगे का रास्ता निकाला जाएगा।

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) कानून, 2020  (The Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था-
किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं था। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों  में फसल बेचनी होती थी। इसके लिए जरूरी था कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते थे। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते थे।
नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसानों को फसल बेचने में सहूलियत मिलेगी। वह कहीं पर भी अपना अनाज बेच सकेंगे। 
2- राज्यों के एपीएमसी के दायरे से बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। 
3- इलेक्ट्रॉनिग ट्रेडिंग से भी फसल बेच सकेंगे। 
4- किसानों की मार्केटिंग लागत बचेगी। 
5- जिन राज्यों में अच्छी कीमत मिल रही है वहां भी किसाने फसल बेच सकते हैं।
6- जिन राज्यों में अनाज की कमी है वहां भी किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिल जाएगी।

2- किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं कानून, 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill 2020)
पहले क्या व्यवस्था थी-
यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित था। किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर था। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा था। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता था। 
नए कानून से क्या फायदा- 
1- नए कानून में किसान एग्री बिजनेस करने वाली कंपनियों, प्रोसेसर्स, होलसेलर्स, एक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स से एग्रीमेंट कर आपस में तय कीमत में फसल बेच सकेंगे। 
2- किसानों की मार्केटिंग की लागत बचेगी। 
3- दलाल खत्म हो जाएंगे।
4- किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा।
5- लिखित एग्रीमेंट में सप्लाई, ग्रेड, कीमत से संबंधित नियम और शर्तें होंगी। 
6- अगर फसल की कीमत कम होती है, तो भी एग्रीमेंट के तहत किसानों को गारंटेड कीमत मिलेगी। 

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) कानून, 2020 (The Essential Commodities (Amendment) Bill 
पहले क्या व्यवस्था थी-
अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता था। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता था। फसल जल्दी सड़ने लगती थी।
नए कानून से क्या फायदा-  
1- नई व्यवस्था में कोल्ड स्टोरेज और फूड सप्लाई से मदद मिलेगी जो कीमतों की स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी। 
2- स्टॉक लिमिट तभी लागू होगी, जब सब्जियों की कीमतें दोगुनी हो जाएंगी।  
3- अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है। 
4- युद्ध, प्राकृतिक आपदा, कीमतों में असाधारण वृद्धि और अन्य परिस्थितियों में केंद्र सरकार नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगी।

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