करगिल विजय दिवस समारोह में पीएम बोले- '99 में हमने पाकिस्तान का छल छलनी कर दिया'

Published : Jul 27, 2019, 08:50 PM ISTUpdated : Jul 27, 2019, 09:23 PM IST
करगिल विजय दिवस समारोह में पीएम बोले- '99 में हमने पाकिस्तान का छल छलनी कर दिया'

सार

कार्यक्रम के दौरान जब एक शहीद की पत्नी को सम्मानित करने के लिए स्टेज पर लाया गया तो उनकी कहानी सुनकर पीएम मोदी भावुक हो गए। उनके साथ ही आर्मी चीफ और वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आईं। 

नई दिल्ली। करगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के अवसर पर दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में करगिल विजय दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पहुंचे। 
कार्यक्रम के दौरान जब एक शहीद की पत्नी को सम्मानित करने के लिए स्टेज पर लाया गया तो उनकी कहानी सुनकर पीएम मोदी भावुक हो गए। उनके साथ ही आर्मी चीफ और वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें भर आईं। इस दौरान पीएम ने पड़ोसी देश पर निशाना साधते हुए कहा- ''पाकिस्तान शुरू से ही कश्मीर को लेकर छल करता रहा है। 1948 में, 1956, 1971 में उसने यही किया। लेकिन 1999 में उसका छल पहले की तरह एक बार फिर छलनी कर दिया गया। तब अटलजी ने कहा था- हमारे पड़ोसी को लगता था कि करगिल को लेकर भारत विरोध प्रकट करेगा और तनाव से दुनिया डर जाएगी। हस्तक्षेप करने के लिए कुछ लोग कूद पड़ेंगे और एक नई रेखा खींचने में वो सफल होंगे। लेकिन हम जवाब देंगे और प्रभावशाली जवाब देंगे। इसकी उम्मीद उनको नहीं थी। रोने गिड़गिड़ाने की बजाय प्रभावी जवाब देने का दबाव ही दुश्मन पर भारी पड़ गया। 

करगिल विजय स्थल मेरे लिए तीर्थस्थल
2014 में मुझे शपथ लेने के कुछ ही दिन बाद करगिल जाने का मौका मिला था। वैसे मैं 20 साल पहले करगिल तब भी गया था, जब युद्ध अपने चरम पर था। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठकर अपने खेल, खेल रहा था। मौत सामने थी लेकिन हमारा जवान सबसे पहले तिरंगा लेकर घाटी पर पहुंचना चाहता था। करगिल विजय का स्थल मेरे लिए तीर्थस्थल की अनुभूति करा रहा था। 

सैनिक जिंदगी और मौत में भेद नहीं करता
सैनिक आज के साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए अपना जीवन बलिदान करते हैं। हमारा आने वाला कल सुरक्षित रहे, इसलिए वो अपना आज स्वाहा कर देता है। सैनिक जिंदगी और मौत में भेद नहीं करता। देश के पराक्रम से जुड़े इन जवानों का जीवन सरकारों के कार्यकाल से बंधा नहीं होता। शासक और प्रशासक कोई हो सकता है, लेकिन पराक्रमी और उनके पराक्रम पर हर हिंदुस्तानी का हक होता है। 
 

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