यूक्रेन से लौटे MBBS छात्रों के लिए अच्छी खबर, भारत में कर सकेंगे इंटर्नशिप, NMC ने दी परमिशन

रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते मेडिकल स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा है। इन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। इसे लेकर एक अच्छी खबर है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग(NMC) ने इन्हें भारत में इंटर्नशिप करने की परमिशन दे दी है।
 

Asianet News Hindi | Published : Mar 5, 2022 8:36 AM IST / Updated: Mar 05 2022, 02:09 PM IST

नई दिल्ली. रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) के चलते मेडिकल स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा है। इन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। इसे लेकर एक अच्छी खबर है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग( National Medical Commission-NMC) ने इन्हें भारत में इंटर्नशिप करने की परमिशन दे दी है। NMC ने इस संबंध में 4 मार्च को सर्कुलर जारी किया है। इस परमिशन से उन मेडिकल स्टूडेंट्स की टेंशन दूर होगी, जो युद्ध के चलते 12 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप करने से वंचित हो रहे थे। यह सर्कुलर NMC की वेबसाइट nmc.org.in पर देखा जा सकता है।

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सर्कुलर में कहा गया गया कि अगर स्टूडेंट्स फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स यानी FMGE एग्जाम पास कर लेते हैं, तो उन्हें भारत में रहकर अपनी अधूरी रही मेडिकल की पढ़ाई को पूरा करने का मौका मिलेगा। FMGE को Next एग्जाम के रूप में जाना जाता है। यह एक एक्जिट एग्जाम है। मेडिकल स्टूडेंट्स को पोस्ट ग्रेजुएशन करने में सक्षम होने और भारत में मेडिसिन की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के योग्य बनने के लिए पास करना जरूरी होता है। आयोग में यह भी कहा गया कि इंटर्नशिप की परमिशन के लिए कोई शुल्क नहीं लिया गया जाता है। साथ ही FMGE के लिए वजीफ और अन्य सुविधाएं भारतीय चिकित्सा स्नातकों को मिलने वाली राशि के अनुसार होगी।

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यूक्रेन से छात्रों लाने चलाया जा रहा ऑपरेशन गंगा
यूक्रेन से भारतीय छात्रों और नागरिकों को लाने ऑपरेशन गंगा चलाया जा रह है। केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने tweet किया कि यूक्रेन से अब तक 11,000 भारतीयों को निकाला गया है। 

पढ़ाई का खर्चा कम होने से जाते थे यूक्रेन

दुनिया के अधिकतर निजी कॉलेज में मेडिकल पढ़ाई का खर्च बहुत ज्यादा होता है। भारत में जहां मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए किसी निजी कॉलेज की फीस एक करोड़ रुपए तक होती है। तो वहीं, अमेरिका में 8 करोड़, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा में भी चार करोड़ का खर्च एमबीबीएस के लिए आता है। जबकि, यूक्रेन में डॉक्टर की डिग्री मात्र 25 लाख रुपए में मिल जाती है।

दूसरी कारण ये है कि भारत में अभी एमबीबीएस की करीब 88 हजार सीटें हैं। जिसमें लगभग 8 लाख से ज्यादा उम्मीदवार बैठते है। यानी करीब 7 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों का डॉक्टर बनने का सपना हर साल अधूरा रह जाता है। ऐसे में छात्र यूक्रेन जाकर मेडिकल की पढ़ाई करते हैं।

इतना ही नहीं, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर बताई जाती है। यहां से हर साल पूरी दुनिया के लाखों लोग मेडिकल की डिग्री लेकर निकलते हैं।

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