नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, साथ ही पीएम ओली ने कोरोना वायरस के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी।
नई दिल्ली. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नेपाल अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, साथ ही पीएम ओली ने कोरोना वायरस के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी। इतना ही नहीं उन्होंने इस महासभा में बिना किसी देश का नाम लिए सीमा विवाद का मुद्दा भी उठाया।
चीन ने जमा लिया है नेपाली जमीन पर कब्जा
दरअसल, हाल ही में मीडिया में खबर आई थी कि चीन ने नेपाली जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया है और तीन इमारतों का गठन कर नेपाली लोगों के उस जगह पर जाने से प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद वहां के लोगों ने चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया था। 'चाइना गो बैक' के नारे भी लगाए थे। चीन ने इस मुद्दे पर नेपाल से बात करने से इनकार दिया था और कहा था कि अगर नेपाल के पास कोई सबूत है कि वो जमीन उसकी है तो सबूत लेकर आए तब वो उनसे बात करेंगे।
भारत-नेपाल के बीच भी हुआ था सीमा विवाद
चीन से पहले भारत और नेपाल के बीच पिछले दिनों सीमा विवाद का मुद्दा देखने को मिला था। अब यूएन में संबोधन के दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने बिना किसी देश का नाम लेते हुए सीमा विवाद का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि नेपाल की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने और अपने पड़ोसियों और दुनिया के अन्य सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक पूर्व रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 'जीवन, आजीविका, समाज और अर्थव्यवस्थाओं पर वर्तमान महामारी का प्रभाव भारी पड़ा है। लोगों को बीमारी और भूख दोनों से बचाना सरकारों का सर्वोच्च कर्तव्य था। साथ ही ओली ने कोरोना वैक्सीन की सस्ती दरों पर पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता की बात भी कही।'
ओली ने कहा कि 'गरीबी, हथियारों की दौड़, भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, आतंकवाद, व्यापार तनाव, वैश्विक असमानता और आपदाओं जैसी चुनौतियों के कारण दुनिया के कई हिस्सों में शांति और सतत विकास की संभावनाएं बनी नहीं रहीं। अदृश्य वायरस ने ही इन विकृतियों की गंभीरता को स्पष्ट किया है।'