
New FASTag Rules: पूरे देश में नए FASTag Rules सोमवार से लागू हो गए। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने 28 जनवरी बताया था कि अब FASTag भुगतान को टोल प्लाजा पर टैग स्कैन किए जाने के बाद तय समय सीमा के भीतर वेरिफाई किया जाएगा।
कार, ट्रक या अन्य वाहन लेकर टोल प्लाजा से गुजरने पर आपको टोल देना होता है। फास्टैग इस टोल को जमा करने की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है। इसमें आप कैशलेस भुगतान करते हैं। इससे कम समय में टोल के पैसे का भुगतान हो जाता है और टोल प्लाजा पर अधिक समय नहीं बर्बाद होता।
फास्टैग रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करके लिंक किए गए बैंक खाते, प्रीपेड वॉलेट या भुगतान ऐप से टोल शुल्क को खुद काट लेता है। इसके लिए फास्टैग स्टिकर वाहन की विंडशील्ड पर चिपकाया जाता है। जब वाहन टोल बूथ के पास पहुंचता है तो RFID सेंसर टैग स्कैन करते हैं और लिंक किए गए खाते से शुल्क वसूलते हैं। इसके बाद बैरियर खुल जाता है।
ब्लैकलिस्टेड फास्टैग- कोई लेनदेन की अनुमति नहीं: अगर फास्टैग ब्लैकलिस्ट किया गया है, हॉटलिस्ट में रखा गया है या टोल बूथ पर पहुंचने से पहले 60 मिनट से अधिक समय तक पैसे कम हो तो लेनदेन स्वीकार्य नहीं होगा। अगर स्कैन किए जाने के बाद 10 मिनट तक FASTag ब्लैकलिस्ट में रहता है तो भुगतान अस्वीकार हो जाएगा। यदि दोनों शर्तें पूरी होती हैं तो सिस्टम इरर कोड 176 के साथ लेनदेन अस्वीकार कर देगा। वाहन से जुर्माने के रूप में दोगुना टोल फीस लिया जाएगा।
रिचार्ज करने के लिए ग्रेस पीरियड: आपके पास टोल बूथ पर पहुंचने से पहले FASTag रिचार्ज करने के लिए 70 मिनट का समय है। यदि लेनदेन के प्रयास के 10 मिनट के भीतर FASTag रिचार्ज किया जाता है तो यूजर को पेनल्टी रिफंड मिलेगा।
देर से पैसे मिले तो देना पड़ सकता है अतिरिक्त शुल्क: यदि टोल रीडर से गुजरने के 15 मिनट से अधिक समय बाद टोल के पैसे प्रोसेस होते हैं तो यूजर को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
चार्जबैक कूलिंग पीरियड की शुरुआत: बैंक ब्लैकलिस्टेड या कम बैलेंस वाले फास्टैग के कारण गलत कटौती के लिए 15 दिन की कूलिंग पीरियड की शुरुआत हुई है। इसके बाद चार्जबैक के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
यह भी पढ़ें- Places of Worship Act 1991: सुप्रीम कोर्ट ने नई याचिकाओं पर लगाई रोक, CJI संजीव खन्ना बोले-बस, अब बहुत हो चुका
यह भी पढ़ें- ये है इंडियन आर्मी का सुसाइड ड्रोन, करता है दुश्मन का शिकार, जानें खासियत