मध्यप्रदेश में अगस्त में हाईकोर्ट ने 30 साल की विवाहिता से छेड़छाड़ के मामले में आरोपी को रक्षाबंधन के दिन महिला के घर जाकर राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दी थी। अब इस फैसले को 9 महिला वकीलों ने चुनौती दी है।
भोपाल. मध्यप्रदेश में अगस्त में हाईकोर्ट ने 30 साल की विवाहिता से छेड़छाड़ के मामले में आरोपी को रक्षाबंधन के दिन महिला के घर जाकर राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दी थी। अब इस फैसले को 9 महिला वकीलों ने चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट की वकील अपर्णा भट्ट और 8 अन्य महिला वकीलों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के 30 जुलाई के फैसले को चुनौती दी है। कोर्ट ने आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने की शर्त पर जमानत दी थी। हालांकि, इस याचिका में महिला वकीलों का कहना है कि वे जमानत का विरोध नहीं कर रही हैं। बस राखी बंधवाने की शर्त को चुनौती दी है। इस याचिका को आधिकारिक तौर पर पी रमेश कुमार ने दायर की है। इसमें जमानत की शर्त पर रोक लगाने की मांग की गई है।
क्या है मामला?
उज्जैन के भाटपचलाना क्षेत्र में रहने वाले विक्रम बागरी (26) पर आरोप है कि वह पड़ोस में रहने वाली महिला के घर में 20 अप्रैल को जबरन घुस गया था। इसके अलावा उसने बुरी नियत के साथ महिला का हाथ पकड़ लिया था। इसके बाद बागरी के खिलाफ धारा 452 और धारा 354 के साथ मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने रखी थी अनूठी शर्त
हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति रोहित आर्य ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद विक्रम को जमानत दे दी थी। हालांकि, कोर्ट ने इसमें शर्त रखी थी कि आरोपी रक्षाबंधन पर 11 बजे अपनी पत्नी के साथ राखी और मिठाई लेकर शिकायतकर्ता महिला के घर जाएगा। आरोपी महिला से राखी बांधने का निवेदन करेगा। इसके साथ ही, एक भाई के तौर पर उसे वचन देगा कि वह भविष्य में हर हाल में उसकी रक्षा करेगा। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था, ''जिस तरह रक्षाबंधन की रस्म के मुताबिक राखी बंधवाने वाला भाई अपनी बहन को उपहार देता है, उसी तरह आरोपी की ओर से शिकायतकर्ता महिला को 11,000 रुपए दिए जाएगे और वह उसका आशीर्वाद भी लेगा।''