आखिरी बार डमी का ट्रायल, सौंपी गई ब्लैक बॉक्स की चाबी; मौत से 4 घंटे पहले ऐसी हैं तिहाड़ में तैयारियां

सात साल बाद निर्भया को न्याय मिल गया। 20 मार्च 2020 दिन शुक्रवार सुबह 5.30 बजे चारों दरिंदों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। तिहाड़ प्रशासन ने फांसी की तैयारियों के लिए पवन जल्लाद को बुलाया था। पवन ने फांसे से पहले आखिरी बार डमी का ट्रायल भी किया था।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 8:36 PM IST / Updated: Mar 20 2020, 05:35 AM IST

नई दिल्ली. सात साल बाद निर्भया को न्याय मिल गया। 20 मार्च 2020 दिन शुक्रवार सुबह 5.30 बजे चारों दरिंदों को एक साथ फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। तिहाड़ प्रशासन ने फांसी की तैयारियों के लिए पवन जल्लाद को बुलाया था। पवन ने फांसे से पहले आखिरी बार डमी का ट्रायल भी किया था। तैयारियों का जायजा लेकर पवन ने ब्लैक बॉक्स की चाबी प्रशासन को सौंपी थी। 

यह ब्लैक बॉक्स जेल सुपरिंटेंडेंट की मौजूदगी में खोला गया। इसमें कॉटन के 4 बैग और फंदे के लिए चार रस्सियां हैं। जल्लाद ने इनकी जांच कर दोबारा बॉक्स में रख दिया। फांसी के वक्त जो अधिकारी और डॉक्टर रहेंगे, वे भी पहुंच गए हैं। चारों दोषियों का दीनदयाल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम होगा। इसके बाद परिवारों को शव सौंपा जाएगा। 

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3 दिन पहले पहुंचा जल्लाद
5 मार्च को चौथे डेथवारंट जारी होने के बाद ही जेल प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी थीं। मेरठ जेल से जल्लाद को भी बुलाया गया था। पवन को 17 मार्च को जेल पहुंचने के लिए कहा गया था। तिहाड़ पहुंचकर पवन ने दोषियों के बराबर वजन की डमी को फांसी देकर भी ट्रायल किया था। 

चौथी बार जारी हुआ डेथ वारंट : निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने के लिए 3 बार डेथ वारंट जारी हो चुका है। पहला डेथ वारंट 7 जनवरी को जारी हुआ, जिसके मुताबिक 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया गया। इसके बाद दूसरा डेथ वारंट 17 जनवरी को जारी हुआ, दूसरे डेथ वारंट के मुताबिक, 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देना का आदेश था।

 फिर 31 जनवरी को कोर्ट ने अनिश्चितकाल के लिए फांसी टाली दी। तीसरा डेथ वारंट 17 फरवरी को जारी हुआ। इसके मुताबिक 3 मार्च को सुबह 6 बजे फांसी का आदेश दिया गया। लेकिन यह भी टल गई। इसके बाद 5 मार्च को चौथा डेथ वारंट जारी किया गया।

क्या हुआ था 16 दिसंबर 2012 को? :
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।

दरिंदों ने निर्भया से दरिंदगी तो की ही इसके साथ ही उसके दोस्त को भी बेरहमी से पीटा। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।
 

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