फांसी से 2 घंटे पहले ही जेल के सामने इकट्ठा होने लगे लोग, कहा, सालों का इंतजार खत्म

निर्भया केस में एक लंबे इंतजार के बाद दोषियों को फांसी पर लटकाने का इंतजार खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च की सुबह 3.30 बजे फांसी पर लटकाने का फाइनल फैसला सुनाया। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2020 10:34 PM IST / Updated: Mar 20 2020, 09:07 AM IST

नई दिल्ली. निर्भया केस में एक लंबे इंतजार के बाद दोषियों को फांसी पर लटकाने का इंतजार खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च की सुबह 3.30 बजे फांसी पर लटकाने का फाइनल फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट से पहले रात 12 बजे हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई, जहां दोषियों को निराशा ही हाथ लगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तिहाड़ जेल के सामने लोग जुटना शुरू हो गए। रात करीब 3.50 बजे तिहाड़ जेल के सामने इकट्ठा हुए लोगों ने कहा कि उन्होंने दोषियों को फांसी के लिए एक लंबा इंतजार किया। आज वह पूरा हो गया।

निर्भया के वकील का बैठ गया गला

दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। निर्भया की मां के साथ वह आधी रात को हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। बोलते-बोलते उनका गला बैठ गया है। उन्होंने कहा कि आज उनकी जीत हुई। देश के आधी आबादी की जीत हुई। इस दौरान उन्होंने विक्ट्री साइन भी दिखाया।  

"एपी सिंह को भी फांसी दो"
तिहाड़ जेल के सामने आए एक शख्स ने मांग की कि, एपी सिंह को भी फांसी दो। तिहाड़ जेल के सामने एक पोस्टर के जरिए इसकी मांग की गई। 

तिहाड़ में जेल नंबर 3 में बंद है चारों आरोपी

चारों दोषी तिहाड़ के जेल नंबर-3 में वार्ड-8 के ए-ब्लॉक में बंद हैं। यहां 10 कमरे हैं। इनमें से छह खाली हैं। ये चार अलग-अलग कमरों में रखे गए हैं।

पवन गुप्ता- पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।

विनय शर्मा- निर्भया का दोषी विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।

अक्षय ठाकुर- यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है।

मुकेश सिंह - निर्भया से गैंगरेप का दोषी मुकेश बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।

राम सिंह- निर्भया का मुख्य दोषी राम सिंह था। मार्च 2013 में तिहाड़ जेल में राम सिंह की लाश मिली थी। पुलिस के मुताबिक राम सिंह ने खुद को फांसी लगाई थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकीलों और राम सिंह के परिवार का आरोप था कि राम सिंह की हत्या की गई थी। राम सिंह बस ड्राइवर था। दक्षिण दिल्ली के रविदास झुग्गी में रहने वाला राम सिंह वारदात से 20 साल पहले राजस्थान से दिल्ली आया था। निर्भया केस में सबसे पहले राम सिंह को ही गिरफ्तार किया गया था। 

नाबालिग दोषी- निर्भया को 6वां दोषी नाबालिग था। वारदात के वक्त वह 17 साल का था। नाबालिग दोषी उत्तर प्रदेश के एक गांव का रहना वाला है। वह 11 साल की उम्र में दिल्ली आया था। इस केस में इसपर बतौर नाबालिग मुकदमा चलाया गया। 31 अगस्त 2013 को नाबलिग को बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया और उसे सुधार गृह में तीन साल के लिए भेज दिया गया। इसके बाद उसे फ्री कर दिया गया।  

फांसी से एक दिन पहले 6 याचिकाएं रद्द

फांसी से एक दिन पहले दोषियों की एक के बाद एक 6 याचिकाएं खारिज हुईं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की दूसरी दया याचिका को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका ठुकराने पर अक्षय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। मुकेश, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने दावा किया था कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में ही नहीं था। पवन, सुप्रीम कोर्ट में ही दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो गई। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। चारों दोषी पटियाला हाउस कोर्ट की रद्द की गई याचिका के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां भी निराशा हाथ लगी।

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