निर्भया के दोषियों की फांसी टलने पर दुखी पिता ने कहा कि सीएम केजरीवाल महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर दिल्ली की सत्ता पर आए थे। आज निर्भया को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने गेम खेला है। फांसी टलने के लिए सीएम केजरीवाल जिम्मेदार हैं।
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों की फांसी एक बार फिर से टल गई है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने अगले आदेश तक निर्भया के दोषियों की फांसी पर रोक लगा दी है। दोषियों को 1 फरवरी की सुबह 6 बजे फांसी दी जानी थी। फांसी टलने के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमकर कोसा है। उन्होंने कहा, "निर्भया के दोषियों की फांसी में हो रही देरी के लिए सिर्फ और सिर्फ सीएम केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं।"
4 घंटे तक जज से बात और टल गई फांसी
निर्भया के पिता ने कहा कि सीएम केजरीवाल महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर दिल्ली की सत्ता पर आए थे। आज निर्भया को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने गेम खेला। जेल प्रशासन उनके हाथ में है, लेकिन उन्होंने 4 घंटे तक न जाने जज से क्या बात की और एक मिनट में कह दिया गया कि फांसी पोस्टपोन्ड। इसके लिए पूरी तरह से दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जिम्मेदार हैं।
महिलाओं को भी किया आगाह
निर्भया के पिता बद्रीनाथ सिंह यहीं नहीं रुके, उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की महिलाएं ये समझ लें कि दिल्ली में सिर्फ बिजली और पानी ही जरूरी है या फिर महिलाओं की सुरक्षा भी जरूरी है। अगर दिल्ली सुरक्षित नहीं है, तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं।
निर्भया के पिता ने कहा कि राहुल मेहरा जो सरकारी वकील हैं, उन्होंने कोर्ट में आकर विपक्ष का पक्ष रखा था। इसका मतलब है कि तब भी उन्होंने गलत किया, आज भी उन्होंने गलत किया है। निर्भया के पिता ने कहा कि जो केंद्र सरकार के हाथ में था, वो मोदी सरकार ने किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोषियों की दया याचिका खारिज कर दी।
महिलाओं की सुरक्षा कैसे होगी तय
निर्भया के पिता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से भी दोषियों की यचिका खारिज हुई, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मामले को रोक रखा है. केजरीवाल इसका जवाब दें कि वो महिलाओं की सुरक्षा कैसे तय करेंगे.
क्या बोले दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल?
वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निर्भया के दोषियों की फांसी टलने पर दुख जताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'मुझे दुख है कि निर्भया के अपराधी कानून के दांव-पेंच ढूंढ़कर फांसी को टाल रहे हैं। उनको फांसी तुरंत होनी चाहिए। हमें हमारे कानून में संशोधन करने की सख्त जरूरत है, ताकि रेप के मामलों में फांसी 6 महीने के अंदर हो। '
दोबारा टली फांसी
निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी जो टल गई थी। दिल्ली जेल नियमों के अनुसार एक ही अपराध के चारों दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता जब तक कि अंतिम दोषी दया याचिका सहित सभी कानूनी विकल्प का प्रयोग नहीं कर लेता। जिसके बाद कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी की तारीख तय की थी। लेकिन दोषियों ने कानून दांव पेंच का प्रयोग करते हुए इस तारीख को भी टलवाने में सफलता हासिल कर ली। जिसके बाद अब निर्भया के परिजनों को न्याय के लिए कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार है।
क्या है पूरा मामला ?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया।बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।