संसद में वित्तमंत्री से मिलने पहुंचे उनके पेरेंट्स, ये हैं उनसे जुड़े फैक्ट्स

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अपना और मोदी सरकार के दूसरे कार्य का पहला बजट राज्यसभा में पेश किया। निर्मला सीतारमण के माता पिता भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनने संसद पहुंचे।

नई दिल्ली. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को अपना और मोदी सरकार के दूसरे कार्य का पहला बजट राज्यसभा में पेश किया। इस दौरान निर्मला सीतारमण के माता पिता भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनने संसद पहुंचे। निर्मला सीतारमण के पिता नारायण सीतारमण भारतीय रेलवे में कर्मचारी है और एक तमिल परिवार से आते हैं।  निर्मला सीतारमण पहली भारतीय महिला पूर्णकालिक वित्तमंत्री है। इससे पहले 1970 में इंदिरा गांधी ने बजट पेश किया था लेकिन वह उस समय पूर्णकालिक वित्तमंत्री नहीं थी। 

ब्रीफकेस नहीं बही खाता लेकर पहुंची संसद

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वित्तमंत्री सीतारमण ब्रीफकेस की परंपरा तोड़ते हुए एक फोल्डर में बजट लेकर निकली। अबतक वित्तमंत्री एक ब्रीफकेस में बजट लेकर संसद पहुंचते थे। वहीं मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने फोल्डर में बजट ले जाने पर कहा, यही भारतीय परंपरा है।  इसे आप बजट नहीं बही खाता कह सकते हैं। 

संभाल चुकी हैं डिफेंस मिनिस्टरी
सीतारमण के पास अतिरिक्त कॉर्पोरेट अफेयर मंत्रालय का कार्यभार भी है। इससे पहले वह रक्षामंत्रालया कार्यवार संभाल चुकी हैं। 2017 में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 


राजनीतिक सफर
साल 2006 में भाजपा से जुड़ीं और 2008 से से 2014 तक राष्ट्रीय प्रवक्ता रहीं जिसके बाद 2016 में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संभाला और 2017 में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली और आंध्रप्रदेश से चुनकर राज्यसभा में पहुंची हैं।

मदुरै में जन्म
निर्मला सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को तमिलनाडु के मदुरै में हुआ था। पिता भारतीय रेलवे के कर्मचारी थे। बचपन में कई राज्यों में रहना पड़ा। 1980 में अर्थशास्त्र में बीए की डिग्री हासिल की। 1984 में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। पति डॉ. परकाल प्रभाकर राईट-फोलियो कंपनी में एमडी हैं।

सहायक अर्थशास्त्री पद पर भी रहीं
लंदन में एईए में अर्थशास्त्री के सहायक के रुप में सीतरमण ने काम किया। प्राइसवाटरहाउस में बतौर वरिष्ठ प्रबंधक वे कार्य कर चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने कुछ वक्त बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में भी काम किया है। भारत में वे सेंटर फॉर पब्लिक पालिसी स्टडीज में उप-निदेशक रहीं।

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