हिंदू हलाल मीट मांगते हैं तो हम बेचते हैं; बहिष्कार की अपील के बीच दुकानदार बोले - व्यापार पर असर नहीं

Published : Apr 04, 2022, 12:19 PM ISTUpdated : Apr 04, 2022, 12:40 PM IST
हिंदू हलाल मीट मांगते हैं तो हम बेचते हैं; बहिष्कार की अपील के बीच दुकानदार बोले - व्यापार पर असर नहीं

सार

पिछले दिनों हिंदू संगठनों ने सभी हिंदुओं से अपील की थी कि 'हलाल मीट' का इस्तेमाल बंद कर दें। उन्होंने मुस्लिम दुकानदारों से मीट नहीं खरीदने और उनका बहिष्कार करने की भी अपील की थी। लेकिन इसके बाद भी मीट की बिक्री पर कोई असर नहीं आया है। 

हुबली (कर्नाटक)। कर्नाटक की हिंदू जन जागृति समिति और विश्व हिंदू परिषद की अपील का असर कई जिलों में नहीं दिख रहा है। हुबली जिले के कई दुकानदारों का कहना है कि मुस्लिम दुकानदारों और हलाल मीट के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद उनकी दुकानों पर हिंदू ग्राहक आ रहे हैं और हलाल मीट ले जाते हैं। हुबली के मीट विक्रेताओं (Hubli meat vendor) का कहना है कि हमारे क्षेत्र में कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसे ही एक दुकानदार नागराज पट्‌टन बताते हैं कि हमारे कुछ ग्राहक हलाल और कुछ झटका मीट मांगते हैं। यह हमारा रोजगार है। इसलिए हम उनकी जरूरतों के अनुसार दोनों तरह का मांस उन्हें उपलब्ध कराते हैं।

त्योहारों के बीच बढ़ी मीट की बिक्री
एक अन्य मांस विक्रेता ने कहा- 'हलाल' मीट को लेकर चल रहे विवाद का कम से कम मेरे व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ा है। वास्तव में वर्शादोदकु, उगादी के कन्नड़ नव वर्ष और रमजान के चल रहे त्योहारों के बीच मांस की मांग में वृद्धि हुई है। कर्नाटक के भारतीय जनता पार्टी (BJP) के महासचिव महेश तेंगिंकाई ने कहा- यहां मांस विक्रेताओं के कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है।

बजरंग दल का दावा- हलाल करने से पहले अनुष्ठान करते हैं मुस्लिम
बजरंग दल और कुछ दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं के साथ 'हिंदू जन जागृति समिति' ने हाल ही में दावा किया कि मुसलमान 'हलाल' मीट के लिए जानवरों को मारने से पहले अपनी आस्था के अनुसार अनुष्ठान करते हैं। बाद में यही मीट हिंदू खाते हैं। इन संगठनों ने 'हलाल' मीट का बहिष्कार करने के लिए एक अभियान चलाया और लोगों से केवल हिंदू विक्रेताओं से मीट खरीदने की अपील की थी। इन संगठनों का आरोप था कि मुस्लिम हलाल मीट के जरिये करोड़ों का कारोबार करते हैं और इस पैसे का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में किया जाता है।

कन्नड़ नव वर्ष से पहले आया विवाद
हलाल मीट का विवाद 'वर्षाडोदकु' उत्सव से पहले आया था, जो उगादी के कन्नड़ नव वर्ष के एक दिन बाद मनाया जाता है। इस समय मीट की बहुत मांग होती है। दरअसल, इस पर्व पर हिंदुओं सहित राज्य भर के कई समुदाय दावत का आयोजन करते हैं, जिसमें मांसाहारी भोजन मुख्य तौर पर परोसा जाता है। 

विपक्ष ने बताया भाजपा का दुष्प्रचार
विपक्ष ने 'हलाल' मीट विवाद को लेकर बसवराज बोम्मई सरकार की निंदा करते हुए इसे बीजेपी का चुनावी दुष्प्रचार बताया है। बोम्मई ने पहले कहा था कि राज्य सरकार 'हलाल' मांस के मुद्दे पर गौर करेगी क्योंकि अब इस पर 'गंभीर आपत्ति' उठाई गई है। कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा 'हलाल' मांस के बहिष्कार के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर बोम्मई ने कहा- जहां तक ​​मेरी सरकार का सवाल है, हम दक्षिणपंथी या वामपंथी नहीं हैं, केवल विकास विंग हैं।

यह भी पढ़ें हलाल मीट और मुस्लिम दुकानदारों का बायकॉट करें, हिंदू जन जागृति ने कहा ये देश विरोधी गतिविधियां चला रहे

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