टीचर के जज्बे को सलाम, बच्चों को पढ़ाने के लिए 49 साल की ये अध्यापक 11 साल से पार कर रही नदी

बिनोदिनी हमेशा एक जोड़ी कपड़े और मोबाइल एक प्लास्टिक बैग में रखकर स्कूल ले जाती हैं। इसे सिर पर रखकर नदी पार करती हैं। स्कूल पहुंचकर पिंक यूनिफॉर्म पहनती हैं।c

Asianet News Hindi | Published : Sep 13, 2019 6:00 AM IST / Updated: Sep 13 2019, 11:38 AM IST

ओडिशा. 49 वर्षीय बिनोदिनी महिला अध्यापक बच्चों के सपनों को उड़ान भरने के लिए रोज 11 साल से नदी पार करके विद्यालय पहुंचती हैं। 53 छात्रों वाले राठियापाल प्राइमरी स्कूल तक पहुंचने के लिए बिनोदिनी मानसून में अपनी जान पर खेलना पड़ता है क्योंकि मानसून के दिनों में इसका पानी गले तक भर जाता है। अध्यापक कहती हैं कि उनके लिए काम मायने रखता है, पानी नहीं। रोजाना भीगने के कारण वह कई बार बीमार हुईं, लेकिन छुट्टी नहीं ली। हालांकि, मानसून के चलते स्कूल के प्रिसिंपल को छुट्टी लेनी पड़ती हैं। 

7000 की वेतन में करती हैं काम 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिनोदिनी के घर से राठियापाल प्राइमरी स्कूल 3 किमी दूरी है। वह विद्यालय में बतौर कॉन्ट्रेक्चुअल टीचर पर पढ़ा रही हैं। उन्हें मात्र 7000 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। शिक्षा विभाग ने बिनोदिनी की नियुक्ति 2000 में की थी। वे इस विद्यालय में 2008 से कार्यरत हैं। पिछले 11 साल से स्कूल पहुंचने के लिए उन्हें नदी के रास्ते से ही होकर गुजरना पड़ता है। 

आवेदन के बाद भी अभी तक नहीं बन पाया पुल 

खबरों के मुताबिक, बिनोदिनी ने बताया कि मानसून में स्थिति और भी खराब हो जाती है और पानी गर्दन तक पहुंच जाता है। लेकिन बावजूद इतनी मुसीबतों के भी उनका कहना है कि उनके लिए अध्यापक का काम ही सबकुछ है। बतौर शिक्षक करियर शुरूआत करने पर उनका वेतनमान 1700 रुपए प्रति महीना था। नदी पर 40 मीटर लंबा पुल बनाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन प्रशासन द्वारा पुल निर्माण पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।  

बैग में रखकर ले जाती हैं एक्सट्रा कपड़े 

बिनोदिनी हमेशा एक जोड़ी कपड़े और मोबाइल एक प्लास्टिक बैग में रखकर स्कूल ले जाती हैं। इसे सिर पर रखकर नदी पार करती हैं। स्कूल पहुंचकर पिंक यूनिफॉर्म पहनती हैं। स्विमर रहीं बिनोदिनी कई बार रास्ता पार करने के दौरान फिसलकर गिर भी चुकी हैं। 

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