सुन्नी वक्फ बोर्ड का बयान, 'सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार, इसे चुनौती नहीं देंगे' कहा, ओवैसी कौन हैं?

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है। इसे चुनौती नहीं देंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जफर फारुकी ने कहा फैसले का स्वागत है। उन्होंने कहा कि हम पहले से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा। 

नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार है। इसे चुनौती नहीं देंगे। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से जफर फारुकी ने कहा फैसले का स्वागत है। उन्होंने कहा कि हम पहले से कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आएगा उसे दिल से माना जाएगा। उन्होंने कहा, सभी को भाईचारे के साथ इस फैसले का सम्मान करना चाहिए। इस केस में सुन्नी वक्फ बोर्ड एक अहम पक्षकार है। ओवैसी के बयान पर जफर फारुकी ने कहा कि ओवैसी कौन हैं। मैं उनको नहीं जानता और न ही कभी उनसे मिला हूं।

ओवैसी ने क्या कहा ?

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एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "वे इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। वे मुस्लिम पर्सनल लॉ के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन अंतिम नहीं। हमें संविधान पर भरोसा है। हम अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। हमें  पांच एकड़ जमीन की खैरात नहीं चाहिए। हमें इस ऑफर को ठुकरा देना चाहिए।" 

मस्जिद गिराने की कांग्रेस और भाजपा की साजिश थी 
ओवैसी ने कहा, ''हम अपने लीगल हक के लिए लड़ रहे थे, 5 एकड़ जमीन के लिए नहीं। हमको किसी के भीख की जरूरत नहीं है। अगर मैं सिर्फ हैदराबाद में घूम जाऊं तो कई एकड़ मिल जाएगी।'' ओवैसी ने कहा- "पर्सनल लॉ बोर्ड के वकीलों ने कहा है हम इस फैसले से खुश नहीं हैं। कांग्रेस और संघ की साजिश थी कि मस्जिद गिराई गई। पर्सनल लॉ की मीटिंग होगी, जो भी फैसला लिया जाएगा सभी को मंजूर होगा।"

अयोध्या पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है। अदालत ने तीन महीने में ट्रस्ट बनाने के लिए भी कहा है। 

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