सुप्रीम कोर्ट ने पूछा - कहां हैं आप? परमबीर सिंह का जवाब- सांस लेने की इजाजत मिले तो बाहर आऊं

वसूली के आरोपों में घिरे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (former mumbai police commissioner param bir singh) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने नाराजगी जताई है। जस्टिस (Justice) संजय किशन कौल ने कहा - आप सुरक्षा आदेश मांग रहे हैं। अगर आप कहीं विदेश में हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं तो हम इसे कैसे दे सकते हैं?

Asianet News Hindi | Published : Nov 18, 2021 8:21 AM IST

नई दिल्ली। मुंबई (Mumbai) पुलिस (Police) के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह (Param Bir) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर कर सुरक्षा मांगी है। कोर्ट ने कहा कि पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को फिलहाल संरक्षण नहीं मिलेगा, जब तक ये बताया नहीं जाएगा कि वो कहां हैं? क्या आप देश में हैं? देश से बाहर हैं? जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा - आप किसी जांच में शामिल नहीं हुए हैं। आप सुरक्षा आदेश मांग रहे हैं। हमारा शक गलत हो सकता है, लेकिन अगर आप कहीं विदेश में हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं तो हम इसे कैसे दे सकते हैं?  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 22 नवंबर को बताएं कि परमबीर कहां हैं। इस पूरे मामले पर परमबीर की ओर से कहा गया कि अगर मुझे सांस लेने की इजाजत मिले तो मैं गड्ढे से बाहर आ जाऊंगा।  

बुधवार को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित किया था 
मुंबई की एक कोर्ट ने परमबीर सिंह को वसूली के एक मामले में बुधवार को 'भगोड़ा' घोषित किया था। मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा (Crime branch) ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी सिंह को भगोड़ा घोषित किए जाने को कहा था। सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी है, इसके बाद से वे फरार हैं। इस मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे भी आरोपी है। 
मामले में वझे की गिरफ्तारी के बाद सिंह को मार्च 2021 में मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया था। 

होटल व्यवसायी से वसूली का आरोप 
रियल एस्टेट डेवलपर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने दो बार और रेस्त्रां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे 9 लाख रुपए की वसूली की। उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं। अग्रवाल की शिकायत के बाद 6 आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 384 और 385 (दोनों जबरन वसूली से संबंधित) और 34 (समान मंशा) के तहत मामला दर्ज किया गया था। कोर्ट इनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकती है।

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