नई दिल्ली। संसद सत्र सुचारू रूप से चले इसके लिए सोमवार को सरकार और विपक्ष के बीच सहमति बनी थी। यह संघर्ष विराम एक दिन भी नहीं टिक सका। मंगलवार को अडानी मुद्दे पर विपक्ष ने लोकसभा से बहिष्कार कर दिया। अडानी पर अमेरिकी अभियोजकों द्वारा रिश्वतखोरी मामले में आरोप लगाए जाने और संभल हिंसा जैसे मुद्दों को लेकर शीतकालीन सत्र में संसद की कार्यवाही प्रभावित हो रही है। कांग्रेस की मांग है कि अडानी मामले पर चर्चा कराई जाए।
सरकार और विपक्ष के बीच लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सुचारू संचालन के लिए सहमति बनी थी। इसके बाद भी मंगलवार को विपक्षी सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट किया और संसद परिसर में अडानी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया। विपक्षी दलों से सांसद अपने हाथों में "मोदी-अडानी एक हैं" और "भारत अडानी के खिलाफ जवाबदेही की मांग करता है", लिखी तख्तियां लिए हुए थे।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "हम मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हम सदन के अंदर प्रदर्शन नहीं कर सकते, इसलिए बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।"
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा, "हम यहां अपनी आवाज उठा रहे हैं। अगर सदन चलने दिया जाए तो हम सदन में भी ऐसा करेंगे। विदेश में यहां एक व्यक्ति पर आरोप लगाया गया है। इससे भारत की बदनामी हुई है। एक व्यक्ति की वजह से सरकार छिप रही है। इस पर बात होनी चाहिए।"
अडानी मुद्दे पर सदन में हंगामे के बीच विपक्षी दलों के ब्लॉक INDIA में दरार एक बार फिर खुलकर सामने आ गई। कांग्रेस को विरोध प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का साथ नहीं मिला। तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को इंडिया ब्लॉक की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। कहा था कि कांग्रेस का केवल एक एजेंडा है। उनके एजेंडे अलग हैं।
मंगलवार सुबह विपक्षी एकता को एक और झटका लगा। समाजवादी पार्टी ने तृणमूल कांग्रेस के साथ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा में संभल का मुद्दा उठाया। अध्यक्ष द्वारा यह कहे जाने पर कि वे इसे शून्यकाल में उठा सकते हैं, यादव और उनकी पार्टी के अन्य सदस्य वॉकआउट कर गए। इसके बाद एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी) और डीएमके के सांसद भी वॉकआउट कर गए।