संसदीय समिति ने 9 वर्ष से अटके NSRA बिल को संसद से पास कराने की सिफारिश की


समिति यह जानना चाहती है कि परमाणु ऊर्जा विभाग ने विधेयक को पुन: जांच के लिये वापस क्यों ले लिया और इसे जिस ग्रोवर समिति के समक्ष विचारार्थ भेजा गया है, उसकी रिपोर्ट से उसे अवगत कराया जाए । संसदीय समिति ने सरकार से यथाशीघ्र संशोधित एनएसआरए विधेयक को संसद से पारित कराने की सिफारिश की है ताकि एईआरबी को सांविधिक शक्ति प्रदान की जा सके ।

Asianet News Hindi | Published : Feb 23, 2020 11:12 AM IST

नई दिल्ली. परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) को स्वायत्तता एवं सांविधिक शक्ति प्रदान करने वाला नाभिकीय संरक्षा नियामक प्राधिकारण (एनएसआरए) विधेयक पिछले नौ वर्षो में कानूनी रूप नहीं ले पाया है । इससे चिंतित संसद की एक समिति ने सरकार से यथाशीघ्र संशोधित एनएसआरए विधेयक को पारित कराने की सिफारिश की है।

समिति 1981 के अपने रिपोर्ट को लेकर सरकार से निराश

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संसद में हाल में पेश परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड के कार्यकलाप पर लोक लेखा समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ समिति चिंता के साथ यह नोट करती है कि आज तक सरकार ने परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड को, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) द्वारा निर्धारित नियमों / दिशा निर्देशों के अनुसार नियामक निकाय की स्वतंत्रता और स्वायत्तत के लिये कानूनी दर्जा प्रदान नहीं किया है ।’’ समिति इस बात से निराश है कि सरकार ने मैक्कोनी समिति की रिपोर्ट 1981 पर संज्ञान नहीं लिया जिसमें स्पष्ट तौर पर सांविधिक दर्जे और संरक्षा मानकों के निर्धारण का उल्लेख किया गया था ।

रिपोर्ट के अनुसार, नाभिकीय संरक्षा नियामक प्राधिकरण विधेयक को सबसे पहले सितंबर 2011 में लोकसभा में पेश किया गया था और फिर इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजा गया । यह विधेयक 2013 और 2015 में संसद में संशोधनों के साथ फिर से पेश किया गया लेकिन यह पारित नहीं हो पाया ।

समिति ने संशोधित विधेयक को संसद से पारित कराने की सिफारिश की 

समिति यह जानना चाहती है कि परमाणु ऊर्जा विभाग ने विधेयक को पुन: जांच के लिये वापस क्यों ले लिया और इसे जिस ग्रोवर समिति के समक्ष विचारार्थ भेजा गया है, उसकी रिपोर्ट से उसे अवगत कराया जाए । संसदीय समिति ने सरकार से यथाशीघ्र संशोधित एनएसआरए विधेयक को संसद से पारित कराने की सिफारिश की है ताकि एईआरबी को सांविधिक शक्ति प्रदान की जा सके । रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह पाया है कि स्वायत्त और स्वतंत्र विनियामक नहीं बनाना स्पष्ट रूप से जोखिमों से भरा है, जैसा कि फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना की स्वतंत्र जांच आयोग की रिपोर्ट में भी सामने आया था । ऐसे में समिति एईआरबी को अधिक कानूनी शक्तियों के साथ सांविधिक ताकत प्रदान करने के लिये परमाणु ऊर्जा विभाग के प्रयासों में लंबी देरी देखकर निराश है ।

इसमें कहा गया है कि समिति ने बड़ी चिंता के साथ यह नोट किया है कि 1981 में मैक्कोनी समिति ने सांविधिक शक्तियों के साथ एईआरबी के सृजन की सिफारिश की थी लेकिन इसके तीन दशक बीत जाने के बाद भी यह धरातल पर नहीं उतर पाया है । समिति को बताया गया है कि परमाणु ऊर्जा विभाग ने विधि एवं न्याय मंत्रालय से परामर्श करके स्थायी समिति की सिफारिशों को शामिल करने के लिये संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

(प्रतिकात्मक फोटो)

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