निर्भया के दोषियों की एक और चाल फेल, मां आशा देवी ने कहा, विनय बीमार नहीं, केस डिले करने की कोशिश

निर्भया के दोषी विनय शर्मा की याचिका को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, उनके(दोषी) इलाज का कुछ नहीं था। वो सिर्फ केस को डिले करने की कोशिश थी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2020 1:04 PM IST

नई दिल्ली. निर्भया के दोषी विनय शर्मा की याचिका को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, उनके(दोषी) इलाज का कुछ नहीं था। वो सिर्फ केस को डिले करने की कोशिश थी। 7 साल बाद आज इन लोगों को कोर्ट में अपनी पत्नी, बहन, मां की याद आई। वो बच्ची भी किसी की बहन-बेटी थी। मैं भी किसी की बेटी और पत्नी हूं। 7 साल से कोर्ट के धक्के खा रही हूं।

'मौत से पहले चिंता और डिप्रेशन सामान्य'
कोर्ट ने विनय की याचिका खारिज करते हुए कहा, मौत की सजा के मामले में चिंता और डिप्रेशन सामान्य है। निस्संदेह दोषी को पर्याप्त चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराई गई है। बता दें कि विनय के वकील एपी सिंह ने कोर्ट में दलील दी थी कि विनय मानसिक रूप से बीमार है। वह अपनी मां को भी नहीं पहचान रहा है। इसलिए उसे फांसी नहीं दी जानी चाहिए।

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दोषियों के वकील ने कहा था, झूठा साबित हुआ तो वकालत छोड़ दूंगा
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा था,  मैं 18फरवरी को विनय शर्मा से मिला था। उस समय वीडियोग्राफी हुई थी। वीडियोग्राफी की रिपोर्ट लाइए।पता चल जाएगा कितने लोग विनय पागल को पकड़ कर लाए। कैसे वो मुझे पहचान नहीं रहा था ? उसका सीधा हाथ टूटा था. अगर वीडियो में ये सब ना हो तो मैं वकालत छोड़ दूंगा।

किस दोषी के पास कितने विकल्प 
फांसी देने के लिए तैयारियां हो रही हैं। लेकिन क्या 3 मार्च को फांसी होगी। दरअसल फांसी देने की संभावना कम ही है। इसके पीछे वजह है कि दोषी पवन के पास दया याचिका और क्यूरेटिव पिटीशन का विकल्प बचा है। अभी उसने दया याचिका नहीं लगाई है। अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं तो भी उसे 14 दिन का वक्त देना होगा। उसके बाद ही फांसी दी जा सकती है।
 
16 दिसंबर को हुआ था निर्भया से गैंगरेप
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।  

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