शाहीनबाग में भी गए थे तब्लीगी जमात के लोग, दिल्ली में हो सकता है बड़ा कोरोना संक्रमण का विस्फोट

तब्लीगी जमात मरकज में करीब 2 हजार लोगों के रुके होने की खबर के बाद दिल्ली पुलिस ने 30 मार्च से लेकर 1 अप्रैल तक लगभग 36 घंटे का ऑपरेशन चलाया, जिसमें निजामुद्दीन मरकज में रुके हुए करीब दो हजार लोगों को वहां से निकाला और हॉस्पिटल और क्वारंटीन सेंटर में भेजा। 
 

नई दिल्ली. तब्लीगी जमात की वजह से तेजी से कोरोना के केस बढ़े हैं। खुद सरकार ने भी इस बात को माना है। लेकिन अब इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तब्लीगी जमात में शामिल होने आए कुछ लोग शाहीनबाग में भी गए थे। उन्होंने वहां पर प्रदर्शनकारियों से मुलाकात भी की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंडमान-निकोबार में कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति शाहीन बाग में पहुंचा था। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक उस मरीज का बयान दर्ज नहीं किय है। लेकिन इससे कोरोना का खतरा और भी ज्यादा बढ़ सकता है। डर इस बात का है कि अगर शाहीनबाग विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए तो कोरोना के आंकड़े और भी ज्यादा बढ़ सकते हैं। 

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दिल्ली पुलिस ने चलाया था 36 घंटे का ऑपरेशन
तब्लीगी जमात मरकज में करीब 2 हजार लोगों के रुके होने की खबर के बाद दिल्ली पुलिस ने 30 मार्च से लेकर 1 अप्रैल तक लगभग 36 घंटे का ऑपरेशन चलाया, जिसमें निजामुद्दीन मरकज में रुके हुए करीब दो हजार लोगों को वहां से निकाला और हॉस्पिटल और क्वारंटीन सेंटर में भेजा। 

 

दूसरे प्रदेशों में गए लोगों को ट्रेस किया जा रहा 
वहीं, तब्लीगी में शामिल होकर वापस अपने घर लौटने वाले लोगों की तलाश भी जारी है। पुलिस उन लोगों के नामों की लिस्ट लेकर तलाश कर रही है जो तब्लीगी के जलसे में शामिल होने के बाद अपने घर लौट चुके हैं।  

 

क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?
निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। 

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