20 साल में पीएम बने हिंदू आस्‍था-सभ्‍यता के ब्रांड अंबेसडर, इन मंदिरों के निर्माण में रहा मोदी का योगदान

पिछले 20 वर्षों के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश भर के कई मंदिरों के कायाकल्प और जीर्णोद्धार में अग्रणी भूमिका निभाई। जिसमें काशी विश्‍वनाथ, अयोध्‍या राम मंदिर और कश्‍मीर के मंदिरों का पुनरूद्धार शामिल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने हाल ही में प्रदेश और केंद्र सरकार (Central Govt) के प्रमुख के रूप में 20 साल पूरे किए हैं। प्रदेश में सीएम और केंद्र में पीएम रहते हुए उन्‍होंने राष्ट्रीय महत्व की कई परियोजनाओं को शुरू किया और अंजाम तक पहुंचाया। साथ ही विभिन्न परिवर्तनकारी पहल भी शुरू की। जिसमें देश में सैंकड़ों वर्षों पुराने मंदिरों को पुनरुद्धार करना भी शामिल हैं। पीएम मोदी से पहले, भारत की सरकारों ने मंदिर के जीर्णोद्धार (Temple Renovation) के सभी प्रकार के प्रयासों के प्रति अपनी आंखें मूंद रखी थी। पिछली सरकारों द्वारा की गई उपेक्षा ने देश के आध्यात्मिक गौरव को ठेस पहुंचाई और पिछले दशकों में मंदिरों के पतन में उन सरकारों का बड़ा योगदान रहा।

स्वर्गीय केएम मुंशी के प्रयासों से सोमनाथ मंदिर का मुद्दा क्षेत्रीय से राष्ट्रीय और फिर हिंदू गौरव में बदला। यह बात किसी पे छिपी नहीं है कि मंदिर के पुनर्निर्माण पर तत्‍कालिक प्रधानमंत्री नेहरू सहमत नहीं थे। उसके बाद भी सोमनाथ मंदिर को फिर से बनाने की शुरुआत हुई। मंदिर के उद्घाटन पर नेहरू के ना चाहते हुए भी तत्‍कालिक राष्‍ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहुंचे। हालांकि सोमनाथ मंदिर को बहाल कर दिया गया था, लेकिन यह लंबे समय तक यह एकमात्र मंदिर रहा जिसके दिन भी बदले और विकास भी हुआ। आइए आपको भी बताते हैं कि पीएम मोदी के सत्‍ता में आने के बाद किन मंदिरों का दोबारा से विकास किया गया और उनका अब क्‍या स्‍टेटस है।

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अयोध्‍या का राम मंदिर
9 नवंबर 2019 को 70 से भी ज्‍यादा सालों से चल रहे श्री रामजन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद हिंदू समाज का पांच सदियों पुराना सपना और संघर्ष पूरा हो गया। इस फैसले के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अयोध्या के आसपास के लगभग 105 गांवों के सूर्यवंशी क्षत्रिय कबीले के लोगों को श्री रामजन्मभूमि मंदिर पर नियंत्रण होने तक पगड़ी और जूतों के इस्तेमाल से दूर रहने के 500 साल पुराने संकल्प को तोड़ने में मदद की। फैसले के बाद, नरेंद्र मोदी सरकार तेजी से आगे बढ़ी और पांच सदियों पुराना सपना तब साकार हुआ जब अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, जिसकी आधारशिला खुद प्रधानमंत्री ने अगस्त 2020 में रखी थी। जैसा कि अयोध्या एक भव्य श्री राम मंदिर के पूरा होने का इंतजार कर रहा है, उनकी सरकार ने पहले ही पूरे क्षेत्र को एक प्रमुख हिंदू तीर्थ केंद्र के रूप में स्थापित करने की योजना बनाई है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
काशी विश्वनाथ मंदिर, अपनी दिव्यता के बावजूद, अपनी भीड़भाड़ और गंदी गलियों के लिए भी जाना जाता था; इतना ही कि महात्मा गांधी ने 4 फरवरी 1916 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का उद्घाटन करने के लिए काशी का दौरा करते समय इसके बारे में बात की थी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने काशी के बेसिक इंफ्रा पर काम करना शुरू हुआ। 8 मार्च 2019 को, पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुनर्विकास और पुनरुद्धार के लिए अपनी सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना शुरू की।

जब इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी तो मंदिर परिसर के चारों ओर घनी संरचनाओं को देखते हुए इसे असंभव माना जा रहा था। विचार मौजूदा विरासत संरचनाओं को संरक्षित करना, मंदिर परिसर में नई सुविधाएं प्रदान करना, मंदिर के आसपास के लोगों के आवागमन और आवाजाही को आसान बनाना और मंदिर को घाटों से सीधे दृश्यता से जोड़ना था। पीएम मोदी का ध्यान गंगा नदी और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच एक सहज संबंध स्थापित करने पर था ताकि तीर्थयात्रियों को मंदिर में गंगाजल चढ़ाने के लिए नदी से स्नान करने और पानी ले जाने में आसानी हो। पीएम के मार्गदर्शन में संपत्तियों का अधिग्रहण फ्लेसिबल तरीके से किया गया ताकि किसी को असुविधा न हो। जिसकी वजह से पूरा प्रोजेक्‍ट मुकदमेबाजी मुक्त हो गया। मंदिर के चारों ओर की इमारतों के विध्वंस से कम से कम 40 बहुत प्राचीन मंदिरों रिकवरी हुई। 13 दिसंबर को पीएम द्वारा इसके उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

सोमनाथ मंदिर परिसर
गुजरात के सीएम के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, नरेंद्र मोदी ने मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण को ऊपर उठाने के लिए कई परियोजनाएं शुरू कीं। हाल ही में, पीएम मोदी ने सोमनाथ मंदिर परिसर में एक प्रदर्शनी केंद्र, समुद्र तट पर सैरगाह का उद्घाटन किया। पीएम मोदी की अध्यक्षता में श्री सोमनाथ ट्रस्ट सोमनाथ मंदिर की महिमा को बनाए रखने और सुधारने के लिए लगातार काम कर रहा है।

केदारनाथ धाम
मोदी सरकार ने केदारनाथ धाम का दोबारा से विकास किया, जिसने 2013 की बाढ़ में व्यापक विनाश को देखा गया था। न केवल पूरे मंदिर परिसर का दोबारा से तैयार किया गया बल्‍कि पूरी तरह से बदल दिया गया है। साथ ही मंदिर को उसकी पूर्ण महिमा में बहाल करने के लिए नए परिसर भी जोड़े गए हैं। हाल ही में केदारनाथ मंदिर परिसर का उद्घाटन करते हुए, पीएम मोदी ने कहा था कि कैसे केदारनाथ का पुनर्विकास उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रिय था। उन्‍होंने 2013 और उसके बाद 2017 में अपने भाषण में केदारनाथ को दोबारा पुनर्विकसित करने की बात कही थी।

चार धाम परियोजना
मोदी सरकार ने यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार तीर्थ स्थलों को जोड़ने वाले एक आधुनिक और विस्तृत चार धाम सड़क नेटवर्क के निर्माण को मंजूरी देकर चार धाम परियोजना की शुरुआत की। यह योजना देश भर से इन चार पवित्र स्थानों पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अनुकूल और आसान पहुंच प्रदान करेगी। सड़क नेटवर्क के समानांतर, रेलवे लाइन की तीव्र गति से भी काम चल रहा है जो पवित्र शहर ऋषिकेश को कर्णप्रयाग से जोड़ेगा, जिसके 2025 तक चालू होने की संभावना है।

विदेशों में भी किया मंदिरों को पुनर्जिवित करने का प्रयास
पीएम के मंदिर निर्माण के प्रयास केवल भारत तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्होंने विदेशों में भी मंदिरों के विकास/पुनर्विकास में मदद की है। 2019 में, उन्होंने मनामा, बहरीन में 200 साल पुराने भगवान श्री कृष्ण श्रीनाथजी (श्री कृष्ण) मंदिर की 4.2 मिलियन डॉलर पुनर्विकास परियोजना का शुभारंभ किया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने 2018 में अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया।

कश्मीर में मंदिर बहाली
जब से अनुच्छेद 370 को समाप्‍त किया गया है और जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है, तब से सरकार ने श्रीनगर, कश्मीर में कई धार्मिक स्थलों के नवीनीकरण पर काम करना शुरू किया है। उपलब्ध अनुमानों के अनुसार, कश्मीर में कुल 1,842 हिंदू पूजा स्थल हैं जिनमें मंदिर, पवित्र झरने, गुफाएं और पेड़ शामिल हैं। 952 मंदिरों में से 212 चल रहे हैं जबकि 740 जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। बहाल किया जा रहा पहला मंदिर श्रीनगर में झेलम नदी के तट पर स्थित रघुनाथ मंदिर है। भगवान राम को समर्पित मंदिर का निर्माण पहली बार 1835 में महाराजा गुलाब सिंह द्वारा किया गया था। हालांकि, यह परियोजना अभी भी अपने शुरआती दौर में है, फिर भी यह एक साहसिक पहल है।

भारत का आध्यात्मिक जागरण
पीएम मोदी का मानना है कि भारत का आध्यात्मिक जागरण तभी हो सकता है जब उसके धार्मिक और दैवीय स्थानों को उनके पुराने गौरव के साथ बहाल किया जाए। इसलिए इस क्षेत्र में उनके सभी प्रयास हमारे स्थापित धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्रों की महिमा को बहाल करने पर केंद्रित हैं। प्रधानमंत्री ने देश भर में हमारे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों और पवित्र स्थलों के मंदिर पुनर्निर्माण और नवीनीकरण अभियान की शुरुआत की है। वह पवित्र हिंदू तीर्थ स्थलों पर चल रहे सभी मंदिर पुनर्निर्माण प्रयासों की अध्यक्षता करते हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व में आधुनिक भारतीय राष्ट्र को उसकी आध्यात्मिक नींव के करीब लाया जा रहा है। भारत उन्हें एक मंदिर निर्माता और एक हिंदू आस्था के राजदूत के रूप में देख रहा है।

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