
Act East Policy: विदेश दौरों पर जाते हुए पीएम मोदी हमेशा एक्ट-ईस्ट पॉलिसी का जिक्र करते हैं। भारत की इस विदेश ने दुनिया में उसका सिक्का जमाने में मदद की है। यह न केवल ट्रेड, डिफेंस, कल्चर और कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भारत को आसियान देशों का भरोसेमंद पार्टनर बनाया है बल्कि इंडिया का धाक जमाने में सहायक भी बना है। दरअसल, 1992 में शुरू हुई ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ (Look East Policy) जहां सिर्फ व्यापारिक रिश्तों पर केंद्रित थी, वहीं 2014 में आई ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ (Act East Policy) में भारत ने एक नया विजन पेश किया। यह विजन – ट्रे़ड के साथ-साथ डिप्लोमेसी, डिफेंस और कल्चर को भी साथ लेकर चलने वाला एक्शन प्लान था।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले एक दशक में South-East Asia के कई देशों की यात्राएं कीं जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति की सक्रियता को दर्शाती हैं।
भारत और ASEAN के बीच व्यापार (India ASEAN Trade) 2016-17 में 71 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया।
फिलीपींस को BrahMos मिसाइल डील भारत की डिफेंस डिप्लोमेसी की बड़ी सफलता मानी जा रही है। वियतनाम (Vietnam) के साथ मिलिट्री लॉजिस्टिक्स डील भी एक बड़ा कदम है।
2019 में Indo-Pacific Oceans Initiative (IPOI) के लॉन्च से लेकर 2023 में भारत और ASEAN के बीच पहली जॉइंट नेवल एक्सरसाइज तक – भारत अब सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में नेतृत्वकर्ता बन चुका है।
पीएम मोदी ने भारत और ASEAN देशों के बीच साझा बौद्ध विरासत (Buddhist Heritage) को प्रमुखता से जोड़ा है। म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ भारत के सांस्कृतिक और अध्यात्मिक रिश्ते गहरे हुए हैं।
नालंदा यूनिवर्सिटी (Nalanda University) में ASEAN देशों के 300 से अधिक छात्रों को स्कॉलरशिप दी गई। साथ ही, International Yoga Day ने पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की सॉफ्ट पावर को मजबूती दी है।
भारत ने न सिर्फ दोस्ती की बातें कीं बल्कि ज़रूरत पड़ने पर सबसे पहले मदद भी भेजी:
पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने भारत को सिर्फ ट्रेड पार्टनर ही नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद सिक्योरिटी प्रोवाइडर, कल्चरल ब्रिज और कनेक्टिविटी चैंपियन बना दिया है। आज भारत दक्षिण-पूर्व एशिया में एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभर चुका है, जो न सिर्फ अपनी बात रखता है, बल्कि वक्त आने पर आगे बढ़कर दूसरों के लिए काम भी करता है।