हुगली: पीएम मोदी ने कहा- जो दशकों पहले होना था, वो अब हो रहा है, बंगाल ने परिवर्तन का मन बना लिया है

असम के बाद पीएम मोदी पश्चिम बंगाल के हुगली में पहुंचे। यहां जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल ने परिवर्तन का मन बना लिया है। आज पश्चिम बंगाल अपने तेज विकास के संकल्प को सिद्ध करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2021 10:56 AM IST / Updated: Feb 26 2021, 10:38 AM IST

कोलकाता. असम के बाद पीएम मोदी पश्चिम बंगाल के हुगली में पहुंचे। यहां जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल ने परिवर्तन का मन बना लिया है। आज पश्चिम बंगाल अपने तेज विकास के संकल्प को सिद्ध करने के लिए एक बड़ा कदम उठा रहा है।

पीएम मोदी ने किस बात पर जताई हैरानी?

"मुझे हैरानी है इतने वर्षों में जितनी भी सरकारें पश्चिम बंगाल में रहीं, उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षेत्र को अपने ही हाल में छोड़ दिया। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को, यहां की धरोहर को बेहाल होने दिया गया। वंदे मातरम भवन जहां बंकिमचंद जी 5 साल रहे, कहते हैं वो तो बहुत बुरे हाल में है।"

सामान्य परिवार गरीब से गरीब होता जा रहा है

"यही वजह है कि गांव-गांव में TMC नेताओं की शान बढ़ती जा रही और सामान्य परिवार गरीब से गरीब होता जा रहा है। बंगाल के लाखों किसान परिवारों को पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा इसी मानसिकता के कारण नहीं मिल पाया है। उनके हक को यहां की सरकार में बैठे हुए लोगों ने छीन लिया है।" 

पीएम मोदी ने कहा, पिछली बार में आपको गैस कनेक्टिविटी का इंफ्रास्ट्रक्चर का उपहार देने आया था। आज रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी को मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण काम शूरू हो रहे हैं। थोडी देर में हुगली, पश्चिम बंगाल की  रेल और मेट्रो कनेक्टिविटी के कई प्रोजेक्ट का शिलान्यास और लोकार्पण होने वाला है।

प. बंगाल में संभावनाओं के नए द्वार खुले रहे हैं

"अब रेलवे को लेकर पश्चिम बंगाल में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं। पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का बड़ा लाभ पश्चिम बंगाल को होने वाला है। इसका एक हिस्सा चालू भी हो चुका है, बहुत जल्द पूरा कॉरिडोर खुल जाएगा। जिससे बंगाल में भी उद्योगों के लिए अवसर बनेंगे। इसी तरह जो विशेष किसान रेल शुरू की गई है, उसका लाभ आज पश्चिम बंगाल के छोटे किसानों को बहुत तेजी से मिलना शुरू हो रहा है। अभी हाल ही में 100वीं किसान रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलाई गई।"

 

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