मोदी ने 1st Time बताया बचपन का रुला देने वाला संघर्षः डेढ़ कमरे का घर, बाथरूम-ना खिड़की, छत से टपकता था पानी

Published : Jun 18, 2022, 04:26 PM ISTUpdated : Sep 15, 2022, 12:01 PM IST
मोदी ने 1st Time बताया बचपन का रुला देने वाला संघर्षः डेढ़ कमरे का घर,  बाथरूम-ना खिड़की, छत से टपकता था पानी

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा आज पूरे 100 वर्ष की हो गईं। इस मौके पर प्रधानमंत्री वडनगर स्थित अपने घर पहुंचे और मां से मुलाकात की।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबा का आज 100वां जन्मदिन है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे। पीएम नरेंद्र मोदी ने मां के पैर धोकर आशीष लिया और करीब 27 पेज का ब्लाग लिखकर कुछ पुराने दिनों को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी लिखते हैं कि वडनगर के जिस घर में वे रहते थे, वह बहुत ही छोटा था। उस घर में न कोई खिड़की थी, न शौचालय था और न ही नहाने की जगह थी। मिट्टी की दीवारों वाले उस घर की छत छपरैल की थी। मुश्किल से वह घर एक से डेढ़ कमरों का ढांचा था, जिसमें पूरा परिवार रहता था। मां-पिताजी, सभी भाई-बहन उसी घर में रहा करते थे। 

कुछ ऐसी थी रसोई
पीएम लिखते हैं कि उस छोटे से घर में कोई रसोई नहीं थी। पिताजी ने मां की मदद करने के लिए बांस की फट्टी और लकड़ी के पटरों से एक मचान बना दिया था। वही मचान घर की रसोई थी। मां उसी पर चढ़कर खाना बनाती थीं और हम सब भी उसी पर चढ़कर खाना खाते थे। कहा जाता है कि जहां अभाव होता है वहीं तनाव होता है। लेकिन मेरे माता-पिता की यह विशेषता थी कि वे घर में तनाव हावी नहीं होने देते थे। दोनों ने अपनी-अपनी जिम्मेदारियां बांट रखी थीं। 

4 बजे से होती दिन की शुरूआत
पीएम बताते हैं कि कोई भी मौसम हो, गर्मी हो, बारिश हो या जाड़ा, पिताजी चार बजे भोर में घर से निकल जाया करते थे। आसपास के लोग उनके पैरों की आवाज सुनकर समझ जाते थे कि सुबह के 4 बज गए हैं। पिताजी घर से निकलकर मंदिर जाते, प्रभु का दर्शन करते और फिर चाय की दुकान पर पहुंचना ही उनकी नित्य कर्म था। मां भी समय की पाबंद थीं और सुबह 4 बजे उठ जाती थीं। वे ज्यादा से ज्यादा काम सुबह ही करती थीं। चाहे गेहूं पीसना हो, बाजरा पीसना हो, चावल या दाल साफ करना हो, वे सारे काम खुद करती थीं। 

मां नहीं लेती थीं किसी की मदद
पीएम लिखते हैं कि मां कभी अपेक्षा नहीं करती थीं हम भाई-बहन पढ़ाई छोड़कर उनकी मदद करें। वे कभी हमसे उनका हाथ बंटाने के लिए नहीं कहती थीं। मां को हम लगातार काम करते ही देखते थे। हमें तब खुद लगता था कि हम उनकी मदद करें। पीएम बताते हैं कि मुझे तालाब में नहाने और तैरने का बड़ा शौक था। इसलिए मैं भी घर के कपड़े लेकर तालाब पर निकल जाया करता था। तब कपड़े भी धुल जाते थे और मेरा खेल भी हो जाता था।

यह भी पढ़ें

मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने लिखा 27 पेज का ब्लॉग, पढ़ें शब्दशः
 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

गोवा नाइटक्लब फायर ट्रेजेडी: 25 मौतें, CM ने बैठाई मजिस्ट्रेटी जांच-खुलेंगे कई चाैंकाने वाले राज
गोवा नाइटक्लब आग: 23 मौतें, 50 घायल-क्या यह सिर्फ हादसा था या जानबूझकर अनदेखी?