लाल किले में गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व समारोह को संबोधित करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी

गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) के 400वें प्रकाश पर्व पर नई दिल्ली के लाल किले में समारोह का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें हिस्सा लेंगे। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 20, 2022 7:23 PM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरु तेग बहादुर (Guru Tegh Bahadur) के 400वें प्रकाश पर्व के समारोह में गुरुवार को रात करीब 9.15 बजे नई दिल्ली के लाल किले में शामिल होंगे। वह सभा को संबोधित करेंगे और इस अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे।

प्रधानमंत्री के कार्यालय पीएमओ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केंद्र द्वारा दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सहयोग से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। 20 और 21 अप्रैल को 'शबद कीर्तन' में देश के विभिन्न हिस्सों से रागी और बच्चे भाग लेंगे। गुरु तेग बहादुर के जीवन को दर्शाने वाला भव्य लाइट एंड साउंड शो भी होगा। इसके अलावा सिखों की पारंपरिक मार्शल आर्ट 'गतका' का भी आयोजन किया जाएगा। लाल किले पर आयोजित कार्यक्रम में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए। 

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नौवें सिख गुरु थे गुरु तेग बहादुर 
कार्यक्रम नौवें सिख गुरु गुरु तेग बहादुर की शिक्षाओं को उजागर करने पर केंद्रित है। गुरु तेग बहादुर ने में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था। उन्हें विश्व इतिहास के सर्वश्रेष्ठ बलिदानियों में गिना जाता है। उन्हें मुगल शासक औरंगजेब के आदेश पर कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए मार डाला गया था।

शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है पुण्यतिथि
उनकी पुण्यतिथि 24 नवंबर को हर साल शहीदी दिवस के रूप में मनाई जाती है। दिल्ली में गुरुद्वारा सीस गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज उनके पवित्र बलिदान से जुड़े हैं। पीएमओ द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि उनकी विरासत राष्ट्र के लिए एक महान एकीकरण शक्ति के रूप में कार्य करती है।

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त्यागमल था बचपन का नाम
बता दें कि गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनका बचपन का नाम त्यागमल था। वह गुरु हरगोबिंद सिंह के बेटे थे। वह अच्छे योद्धा थे। 14 साल की उम्र में उन्होंने पिता के साथ मुगलों के खिलाफ हुई जंग में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने अपनी तलवार बाजी से दुश्मनों का सफाया कर दिया। इसके बाद पिता ने उन्हें नया नाम तेग बहादुर (तलवार के धनी) रखा।

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