बंगाल: विश्व भारती यूनिवर्सिटी शताब्दी समारोह में मोदी, कहा- गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का सार

पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरी लिए भी ये सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 24, 2020 2:36 AM IST / Updated: Dec 24 2020, 03:19 PM IST

नई दिल्ली. पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा, विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 वर्ष होना प्रत्येक भारतवासी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। मेरी लिए भी ये सुखद है कि आज के दिन इस तपोभूमि का पुण्य स्मरण करने का अवसर मिल रहा है। बता दें कि साल 1921 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। मई 1951 में इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन ऑफ नेशनल इंपॉर्टेंस घोषित किया गया था।

"विश्व भारती की 100 साल की यात्रा विशेष"

पीएम मोदी ने कहा, विश्व भारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है। विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है। भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है।

"पर्यावरण संरक्षण में दुनिया में भारत की बड़ी भूमिका"

पीएम मोदी ने कहा, इस संस्था को इस ऊंचाई पर पहुंचाने वाले हर व्यक्ति को मैं आदर पूर्वक नमन करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं। भारत इंटरनेशनल सोलर एलायंस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए विश्व में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है। भारत पूरे विश्व में इकलौता बड़ा देश है जो पेरिस अकॉर्ड के पर्यावरण के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को भक्ति आंदोलन ने मजबूत करने का काम किया था। भक्ति युग में हिंदुस्तान के हर क्षेत्र हर इलाके पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण हर दिशा में हमारे संतों ने महंतों ने आचार्यों ने देश की चेतना को जागृत रखने का प्रयास किया।

"भक्ति आंदोलन से भारत को सामूहिक चेतना मिली"

पीएम ने कहा, भक्ति आंदोलन वो डोर थी जिसने सदियों से संघर्षरत भारत को सामूहिक चेतना और आत्मविश्वास से भर दिया। उन्होंने भक्ति का दायरा बढ़ाते हुए हर व्यक्ति में दिव्यता को देखना शुरू किया। उन्होंने व्यक्ति और संस्थान के निर्माण पर बल देते हुए कर्म को भी अभिव्यक्ति और प्रेरणा दी। पीएम ने कहा, भक्ति का ये विषय तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक महान काली भक्त श्रीरामकृष्ण परमहंस की चर्चा ना हो। वो महान संत, जिनके कारण भारत को स्वामी विवेकानंद मिले। स्वामी विवेकानंद भक्ति, ज्ञान और कर्म, तीनों को अपने में समाए हुए थे।

"इस संस्थान ने भारत की आजादी के लिए नई ऊर्जा दी"

उन्होंने कहा, अन्याय और शोषण के विरुद्ध सामान्य नागरिकों के तप-त्याग और तर्पण की कर्म-कठोर साधना अपने चरम पर थी। ये भविष्य में हमारे स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी प्रेरणा बनी। भक्ति आंदोलन के सैकड़ों वर्षों के कालखंड के साथ-साथ देश में कर्म आंदोलन भी चला। भारत के लोग गुलामी और साम्राज्यवाद से लड़ रहे थे। चाहे वो छत्रपति शिवाजी हों, महाराणा प्रताप हों, रानी लक्ष्मीबाई हों, कित्तूर की रानी चेनम्मा हों, भगवान बिरसा मुंडा का सशस्त्र संग्राम हो। पीएम ने कहा, इन शिक्षण संस्थाओं ने भारत की आजादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलन को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी, नई ऊंचाई दी। भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए, ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मजबूती दी और कर्म आंदोलन ने हमें अपने हक के लिए लड़ाई का हौसला और साहस दिया।

"गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है"

उन्होंने कहा, वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी। ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए विश्व-भारती। मां भारती और विश्व के साथ समन्वय। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है। ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।

पीएम ने बताया, जब गुजरात की बेटी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई  

पीएम मोदी ने बताया, गुरुदेव का बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर की नियुक्ति गुजरात में हुई थी। तब रवींद्र नाथ टैगौर उनसे मिलने के लिए अहमदाबाद में आते थे। वहीं पर उन्होंने अपनी दो कविताओं को लिखा। इतना ही नहीं, गुजरात की बेटी भी गुरुदेव के घर बहू बनकर आई।

पीएम ने कहा, सत्येंद्र नाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानेंद्री देवी जब अहमदाबाद में रहती थीं, तब उन्होंने दखा कि वहां महिलाएं साड़ी का पल्लू दाईं ओर रखती थीं। तब महिलाओं को काम करने में दिक्कत होती थी। तब उन्होंने साड़ी का पल्लू बाईं तरफ रखने की सलाह दी जो अबतक जारी है।

पीएम मोदी ने छात्रों को दिया टास्क

पीएम मोदी ने कहा, कोरोना की वजह से इस बार विश्व भारती मेले का आयोजन नहीं हुआ। ऐसे में मैं छात्रों को एक टास्क देता हूं। विश्वभारती के छात्र-छात्राएं पॉश मेले में आने वाले लोगों से संपर्क करें। फिर कोशिश करें कि उनकी कलाकृतियों को कैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दिया जा सकता है जिससे कि वे अपनी कलाकृतियां बेच सकें।
 

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