DLSA के प्रोग्राम में PM मोदी-न्याय का भरोसा देशवासियों को एहसास दिलाता है कि उसके अधिकारों की रक्षा हो रही है

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 30 जुलाई को विज्ञान भवन में पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण(DLSA) सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। NALSA द्वारा विज्ञान भवन में 30-31 जुलाई 2022 के दौरान DLSA का पहला राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28-29 जुलाई के अपने दो दिनी गुजरात-तमिलनाडु से लौटने के बाद दिल्ली में  30 जुलाई को विज्ञान भवन में पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा विज्ञान भवन में 30-31 जुलाई 2022 के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) का पहला राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में सभी डीएलएसए के बीच एकरूपता लाने और समन्वय स्थापित करने हेतु एक एकीकृत प्रक्रिया(integrated process) के निर्माण पर विचार किया जाएगा।

मैं मानता हूं कि ये एक अच्छी और शुभ शुरुआत
मोदी ने कहा-District Legal Authorities के चेयरमैन और सेक्रेटरी की ये इस तरह की पहली राष्ट्रीय बैठक है। मैं मानता हूं कि ये एक अच्छी और शुभ शुरुआत है और ये आगे भी चलेगा। आपने इस तरह के आयोजन के लिए जो समय चुना है, वो सटीक भी है और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण भी है। आज से कुछ ही दिन बाद देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे कर रहा है। ये समय हमारी आजादी के अमृत काल का है, ये समय उन संकल्पों का है जो अगले 25 वर्षों में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

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न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को अधिकारों की रक्षा का एहसास दिलाता है
मोदी ने कहा-देश की इस अमृतयात्रा में Ease of Doing Business और Ease of Living की तरह ही Ease of Justice भी उतना ही जरूरी है। आप सब यहां संविधान के experts और जानकार हैं। हमारे संविधान के आर्टिकल 39A, जो Directive principal of state policy के अंतर्गत आता है, उसने लीगल एड को बहुत प्राथमिकता दी है। न्याय का ये भरोसा हर देशवासी को ये एहसास दिलाता है कि देश की व्यवस्थाएं उसके अधिकारों की रक्षा कर रही हैं। इसी सोच के साथ देश ने National Legal Services Authority की स्थापना भी की। ताकि कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी न्याय का अधिकार मिल सके। किसी भी समाज के लिए Judicial system तक access जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी justice delivery भी है। इसमें एक अहम योगदान judicial infrastructure का भी होता है। पिछले आठ वर्षों में देश के judicial infrastructure को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। इसे आधुनिक बनाने के लिए 9,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।

 e-Courts Mission पर बोले मोदी
e-Courts Mission के तहत देश में virtual courts शुरू की जा रही हैं। Traffic violation जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली courts ने काम करना शुरू कर दिया है। लोगों की सुविधा के लिए courts में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग इनफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार भी किया जा रहा है।
एक आम नागरिक संविधान में अपने अधिकारों से परिचित हो, अपने कर्तव्यों से परिचित हो, उसे अपने संविधान, और संवैधानिक संरचनाओं की जानकारी हो, rules और remedies की जानकारी हो, इसमें भी टेक्नोलॉजी एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।

कर्तव्य काल का समय
आजादी के 75 साल का ये समय हमारे लिए कर्तव्य काल का समय है। हमें ऐसे सभी क्षेत्रों पर काम करना होगा, जो अभी तक उपेक्षित रहे हैं। हमारी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी इन कैदियों को कानूनी सहायता देने का जिम्मा उठा सकती हैं। देश में अंडर ट्रायल कैदियों से जुड़े मानवीय विषय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले भी कईं बार संवेदनशीलता दिखाई गई है। ऐसे कितने ही कैदी हैं, जो कानूनी सहायता के इंतजार में वर्षों से जेलों में बंद हैं।

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देश में कुल 676 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण 
देश में कुल 676 जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) हैं। इन प्राधिकरणों का नेतृत्व जिला न्यायाधीश द्वारा किया जाता है, जो इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। डीएलएसए और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के माध्यम से एनएएलएसए द्वारा विभिन्न विधिक सहायता एवं जागरूकता कार्यक्रम कार्यान्वित किए जाते हैं। डीएलएसए, एनएएलएसए द्वारा आयोजित लोक अदालतों को विनियमित करके अदालतों पर बोझ को कम करने में भी योगदान करते हैं।   

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