वाशिंगटन में मोदी की उपलब्धियां: बड़ी कंपनियों का चीन से मोहभंग भारत में होगा उनका नया पता

भारत की दृष्टि से जो चौथी घटना इस दौरान हुई, वह है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण। उनका भाषण लगभग पूरी तरह भारत-विरोध पर केंद्रित रहा। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2021 12:08 PM IST / Updated: Sep 25 2021, 05:42 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका-यात्रा के दौरान चार प्रमुख घटनाएं हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में अभी उनका भाषण होना है। सबसे पहले उन्हें मेरी बधाई कि उन्होंने अपना भाषण हिंदी में दिया। वाशिंगटन में वे पहले अमेरिका की पांच बड़ी तकनीकी कंपनियों के मुख्य कर्त्ता-धर्ताओं से मिले। चीन से मोहभंग होने के बाद भारत ही उनका आश्रय-स्थल बनेगा, यह अब निश्चित है।

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उनके भारत-आगमन से तकनीकी क्षेत्र में भारत के चीन से भी आगे निकलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। मोदी की इस यात्रा में वे चौगुटे याने ‘क्वाड’ के नेताओं से व्यक्तिगत मिले। यह भेंट इसलिए भी जरुरी थी कि अमेरिका ने जो नया त्रिगुट बनाया है, जिसमें भारत और जापान को छोड़कर सिर्फ ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया को सम्मिलित किया गया है, उसके कारण चौगुटे के प्रभाहीन होने की अफवाहें फैल रही थीं। उनका निराकरण चारों नेताओं की इस भेंट के दौरान दिखाने की पूरी कोशिश हुई है।

चौगुटे की संयुक्त बैठक में भी उसके असामरिक और खुले होने पर जोर दिया गया। मोदी की इस यात्रा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उप-राष्ट्रपति से जो व्यक्तिगत भेंट हुई है, वह अपने आप में असाधारण है। भारत-अमेरिकी संबंधों में यह पहला अवसर है कि जबकि अमेरिका के दो सर्वोच्च पदों पर आसीन नेताओं का भारत से सीधा संबंध रहा है। मोदी अपने साथ भारत में पैदा हुए पांच बाइडनों के परिचय-पत्र ले गए थे।

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बाइडेन जब स्वयं कुछ वर्ष पहले भारत आए थे, तब उन्होंने मुंबई में बाइडेन परिवारों की खोज की थी और कमला हैरिस तो भारतीय मूल की हैं ही। बाइडेन ने भारत-अमेरिकी सहयोग पर इस तरह बल दिया, जैसे अपने किसी गठबंधन के देश के लिए दिया जाता है। उन्होंने गांधी के आदर्शों पर चलने की बात भी कही। कमला हैरिस ने भारत के पड़ोसी देश की आतंकवाद समर्थक गतिविधियों पर भी प्रहार किया। अफगानिस्तान पर भी दो-टूक रवैया दोनों पक्षों ने अपनाया। जो कमला हैरिस पहले कश्मीर और पड़ोसी शरणार्थियों के कानून को लेकर भारत पर बरसती रहती थीं, उन्होंने इन मुद्दों को उठाया ही नहीं।

भारत की दृष्टि से जो चौथी घटना इस दौरान हुई, वह है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण। उनका भाषण लगभग पूरी तरह भारत-विरोध पर केंद्रित रहा। उन्होंने कश्मीर का मुद्दा भी जमकर उठाया। लेकिन उन्होंने बेनजीर भुट्टो की तरह संयुक्त राष्ट्र का 1948 का कश्मीर प्रस्ताव शायद पढ़ा तक नहीं है। प्रधानमंत्री बेनजीर से मैंने अपनी पहली भेंट में ही कहा था कि उस प्रस्ताव में पाकिस्तान को निर्देश दिया गया था कि सबसे पहले वह अपने कब्जाए हुए कश्मीर को अपने फौजियों और कारकूनों से खाली करे। इमरान यह भी भूल गए कि उन्होंने अपनी पिछली न्यूयार्क-यात्रा के दौरान कहा था कि पाकिस्तान में हजारों आतंकवादी सक्रिय हैं। तालिबान को मान्यता देने की वकालत के पहले वे यदि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान में जिहाद छेड़ देते तो सारी दुनिया उनकी बात पर आसानी से भरोसा करती। 

(डॉ. वेदप्रताप वैदिक, लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं) 
 

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