पीएम ने बताई अपनी वो कठिन दिनचर्या, जिसे देख मां हीराबेन भी कहती थी- ठीक है भाई, जैसा तुम्हारा मन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 72 साल के हो गए हैं। 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर में जन्मे नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने अपनी मां हीराबेन के जन्मदिन पर 'मां' शीर्षक से एक ब्लॉग लिखा था। इसमें उन्होंने अपनी कठिन दिनचर्या का भी जिक्र किया है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 15, 2022 3:03 PM IST / Updated: Sep 17 2022, 11:08 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 72 साल के हो गए हैं। 17 सितंबर, 1950 को गुजरात के महेसाणा जिले के वडनगर में जन्मे नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने अपनी मां हीराबेन के जन्मदिन पर 'मां' शीर्षक से एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में उन्होंने अपने बचपन और संघर्ष के दौरान की तमाम यादों का जिक्र किया है। ब्लॉग में पीएम मोदी ने उस वाकये का भी जिक्र किया है, जब उनकी कठिन दिनचर्या देख मां हीराबेन कहती थीं- ठीक है भाई जैसा तुम्हारा मन करे वैसा करो। 

मेरे फैसलों के बीच कभी दीवार नहीं बनी मां : 
पीएम मोदी ने ब्लॉग में बताया कि दूसरों की इच्छा का सम्मान करने की भावना, दूसरों पर अपनी इच्छा ना थोपने की भावना, मैंने मां के अंदर बचपन से ही देखी है। खासतौर पर मुझे लेकर वो बहुत ध्यान रखती थीं कि वो मेरे और मेरे निर्णयों को बीच कभी दीवार ना बनें। उनसे मुझे हमेशा प्रोत्साहन ही मिला। बचपन से वो मेरे मन में एक अलग ही प्रकार की प्रवृत्ति पनपते हुए देख रहीं थीं। मैं अपने सभी भाई-बहनों से अलग सा रहता था।

कई बार मां को मेरे लिए अलग इंतजाम करने पड़ते थे : 
मेरी दिनचर्या की वजह से, मेरे तरह-तरह के प्रयोगों की वजह से कई बार मां को मेरे लिए अलग से इंतजाम भी करने पड़ते थे। लेकिन उनके चेहरे पर कभी शिकन नहीं आई, मां ने कभी इसे बोझ नहीं माना। जैसे मैं महीनों-महीनों के लिए खाने में नमक छोड़ देता था। कई बार ऐसा होता था कि मैं हफ्तों-हफ्तों अन्न त्याग देता था, सिर्फ दूध ही पीया करता था। कभी तय कर लेता था कि अब 6 महीने तक मीठा नहीं खाऊंगा। 

सर्दी में खुले में सोता, ठंडे पानी से नहाता था : 
सर्दी के दिनों में, मैं खुले में सोता था, नहाने के लिए मटके के ठंडे पानी से नहाया करता था। मैं अपनी परीक्षा स्वयं ही ले रहा था। मां मेरे मनोभावों को समझ रही थीं। वो कोई जिद नहीं करती थीं। वो यही कहती थीं- ठीक है भाई, जैसा तुम्हारा मन करे। मां को आभास हो रहा था कि मैं कुछ अलग ही दिशा में जा रहा हूं।

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