मंत्रालयों के किराए पर सरकार खर्च कर रही 1500 करोड़, भारत को चाहिए 21वीं सदी की इमारतें: नरेंद्र मोदी

Published : Aug 06, 2025, 07:27 PM ISTUpdated : Aug 06, 2025, 08:09 PM IST
Kartavya Bhavan

सार

Kartavya Bhavan Inauguration: पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सरकार मंत्रालयों के किराये पर 1500 करोड़ रुपए खर्च कर रही थी। कर्तव्य भवन से कामकाज में तेजी आएगी।

Kartavya Bhavan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर बने कर्तव्य भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि सरकार मंत्रालयों के किराये पर 1500 करोड़ रुपए खर्च कर रही थी।

पीएम मोदी ने कहा, "हम आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और अब कर्तव्य भवन। ये सिर्फ साधारण इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं हैं। यहां विकसित भारत की नीतियां बनेंगी और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। आने वाले समय में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी।"

उन्होंने कहा, "हमने बहुत विचार-विमर्श के बाद इस भवन को 'कर्तव्य भवन' नाम दिया। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन नाम हमारे लोकतंत्र, संविधान के मूल मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

 

 

'21वीं सदी के भारत को 21वीं सदी की इमारतें चाहिए'

नरेंद्र मोदी ने कहा, "आजादी के बाद दशकों तक देश की प्रशासनिक मशीनरी उन भवनों से चलाई जाती रही है जो ब्रिटिश शासन काल में बनीं थीं। आप भी जानते हैं कि दशकों पहले बने इन भवनों में काम करने की स्थिति कितनी खराब थी। यहां काम करने वालों के लिए न पर्याप्त जगह है, न रोशनी है, न जरूरी वेंटिलेशन है। गृह मंत्रालय जैसी महत्वपूर्ण मंत्रालय करीब 100 साल से एक भी बिल्डिंग में पर्याप्त साधनों के साथ चल रही थी। इतना ही नहीं, भारत सरकार के अलग-अलग मंत्रायल दिल्ली के 50 अलग-अलग जगहों से चल रहे हैं। इनमें से बहुत सारे मंत्रालय तो किराये के भवन में चल रहे हैं।"

यह भी पढ़ें- PM मोदी ने कर्तव्य भवन का किया उद्घाटन, एक छत के नीचे 7 मंत्रालय, हाईटेक सुविधाओं से लैस परिसर

उन्होंने कहा, “इनके किराये पर जितने रुपए खर्च हो रहे थे वो अपने आप में बहुत बड़ा आंकड़ा है। 1500 करोड़ रुपए प्रति वर्ष किराये में खर्च होते हैं। इतनी बड़ी राशि भारत सरकार अलग-अलग मंत्रालय के किराये पर खर्च कर रही है। काम की वजह से कर्मचारियों का यहां से वहां आना जाना भी होता है। अनुमान है कि हर रोज 8-10 हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना-जाना होता है। इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों का मूवमेंट होता है। खर्च होता है। कितना समय खराब होता है। 21वीं सदी के भारत को 21वीं सदी की इमारतें चाहिए।”

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